________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय / चैत्यवन्दनमहाभाष्यमां नमस्कारसूत्र विशे सूचित विगतोनु कोष्टक नमस्कारसूत्र (पंचपरमेष्ठी पद) पद संपदा अध्ययन आला- गुरु- लघु- तप अक्षरो। पक अक्षर अक्षर आयंबिल पी 46 ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ ܩ و و و و و . 1 णमो अरिहंताणं 2 णमो सिद्धाणं '3 णमो आयरियाणं 4 णमो उवज्झायाणं 5 णमो लोए सव्वसाहूणं (चूलिका) 6 एसो पंचणमुक्कारो 7 सव्वपावप्पणासणो 8 मंगलाणं च सव्वेसि 9 पढम हवइ मंगलं 06.06 परिचय 15 20 श्रीचैत्यवंदनमहाभाष्यना कर्ता श्रीदेवेन्द्रसूरि छ / तेओ तपागच्छना स्थापक श्रीजगच्चंद्रसूरिना शिष्य हता अने वि. सं. 1270 थी 1327 सुधीमा विद्यमान हता। तेओ एमना समयना महाप्रभावशाली विद्वान् हता / तेमणे 'षट्कर्मग्रंथ-खोपज्ञटीका सहित' 'श्राद्धदिनकृत्यसूत्र-वृत्ति' वगेरे अनेक प्रकरणग्रंथो अने 'सुदर्शनचरित' जेवा चरितग्रंथोनी प्राकृतमा रचना करेली छे / श्रीचैत्यवंदनमहाभाष्य उपर श्रीधर्मकीर्तिसूरिए टीका रची छे / श्रीधर्मकीर्तिसूरिनुं बीजं नाम श्रीधर्मघोषसूरि हतुं / तेओ महाविद्वान् हता / तेमना उपदेशथी मांडवगढना पेथडकुमारे सं. 1320 लगभगमा जुदे जुदे स्थळे 84 जिनप्रासादोनुं निर्माण कयुं हतुं। चैत्यवंदनमहाभाष्यमां गा. 30 मां 'नमस्कारसूत्र'नो उल्लेख कर्यो छे, तेना उपर श्रीधर्मकीर्तिसूरिए नमस्कारविषयक अनेक हकीकतोनो टीकामां संग्रह कर्यो छे। आ संदर्भ 'देववंदनभाष्य' प्रकाशकः-श्रीऋषभदेव केशरीमलजी जैन पेढी, रतलाम, सं० 1994 ना पृष्ठ : 210 थी 218 मांथी उद्धृत कर्यो छे; परंतु ते सीधेसीधो न लेतां तेमां पू. पुण्यविजयजी महाराजसाहेबे प्राप्त थयेल हस्तप्रतो परथी जे सुधारा वधारा कर्या छे तेने आधारे मा मूळपाठ तैयार करेल छे। 25 1 जुओः श्रीमुनिसुंदरसूरिकृत-'गुर्वावली' अने विशेष माहिती माटे जुओः मो. द. कृत 'जैनसाहित्यनो संक्षिप्त इतिहास' पृ. 404 /