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________________ निवेदन __उपर्युक्त शुद्धिपत्रक तैयार करवामां पू. मुनिश्री अभयसागरजीए आपेल फाळो पण खास नोंधपात्र छ / तेओश्री आ ग्रंथने साद्यंत वांची गया हता अने वांचतां वांचतां जे जे अशुद्धिओ जणाई के फेरफार करवा योग्य लाग्या तेनी नोंध करता गया। फर्माओना पुनःमुद्रणमां अमे तेओश्रीनां सूचनो आमेज करी लीधां अने ते सिवायनी शुद्धिओ ग्रंथने छेडे आपेल शुद्धिपत्रकमां समाविष्ट करी लीधी। पू. मुनिश्री अभयसागरजीनी आ सहाय प्रशंसापात्र छे अने तेनी साभार नोंध लेतां अमने अत्यंत आनंद थाय छे।। आ उपरांत 'श्री नमस्कार महामंत्र' अंगेनुं साहित्य एकत्र करवामां, अनुवाद अंगे सूचनो करवामां, स्तोत्रोनी पसंदगीमा तेमज अन्य जरूरी माहिती पूरी पाडवामां नमस्कारमंत्रना परम आराधक प. पू. पंन्यास श्री भद्रंकरविजयजी गणिवर्य, प. पू. पंन्यास श्री भानुविजयजी गणिवर्य आदिए अति किंमती सलाह आपेल छे, जे बदल ते गुरुवर्योनो हार्दिक उपकार मानीए छीए। 'नमस्कार स्वाध्याय' ना त्रणे विभाग माटे अनेक यंत्रो तथा चित्रो तैयार करवामां आव्यां छे अने ए बधुं कार्य डभोईना जाणीता चित्रकार श्री रमणीकलाले खूब परिश्रमपूर्वक कर्यु छे। चित्रोना ब्लॉको बनाववामां मेसर्स एच. पी. मित्र तथा प्रेस प्रोसेस स्टुडीओए जवाबदारी लीधी हती अने पोतानी आ फरज तेओए सारी रीते अदा करी हती, जे बदल संस्था तरफथी तेमने धन्यवाद पाठवीए छीए। प्रस्तुत ग्रंथ- मुद्रणकार्य निर्णय सागर प्रेसमां शरू करवामां आव्यु हतुं अने घणुखरुं छापकाम त्यां ज थयु 'छे। ए बदल ते प्रेसना कार्यवाहकोने अमे आभार मानीए छीए / पाछळथी केटलाक फर्मा बदलवानी जरूर ऊभी थतां तेमज केटलुक मॅटर तद्दन बाकी होवाने लीधे अने वळी शीघ्रगतिए काम थाय ए दृष्टिए पंदरेक फर्मा जेटलुं मॅटर अमारे मौज प्रिंटिंग प्रेसमां छपावq पड्युं / आम करवा जतां कागळ, टाईप आदिमां विभिन्नता आववा पामी अने मुद्रणनी एकवाक्यता जाळवी न शकाई; तेम छतां मौज प्रेसना झडपी अने सुंदर छापकामथी अमने घणो ज संतोष थयो। आवं संतोषकारक काम आपवा बदल मौज प्रेसना प्रोप्राईटर श्री. वि. पी. भागवतनो अने तेमनी साथे निकट परिचय करावी आपनार श्री. कान्तिलाल डाह्याभाई कोरानो अमे हार्दिक आभार मानीए छीए। संशोधन अने संग्रहना आ कार्यमा खास करीने हस्तप्रतो पूरी पाडवामां अनेक संस्थाओ, जैन ज्ञानभंडारो अने प्रतिष्ठित व्यक्तिओ तेमज विद्वानो तरफथी अमने भावभीनो सहकार मळ्यो छ। एमां मुख्यत्वे नीचे जणावेल ज्ञानभंडारो अने संस्थाओनो समावेश थाय छे: (1) श्री वर्धमान जैन आगममंदिर, पालीताणा (2) श्री विजयमोहनसूरीश्वरजी हस्तलिखित शास्त्रसंग्रह, पालीताणा (3) शेठ श्री आणंदजी कल्याणजीनी पेढी हस्तक श्री. जैन श्वेतांबर ज्ञानभंडार, पालीताणा (4)" " " " " " " "" " " लोंबडी (5) श्री हीरजी जैन शाळा ज्ञानभंडार, जामनगर श्री अंचलगच्छ ज्ञानभंडार, जामनगर श्री डेला जैन उपाश्रय ज्ञानभंडार, अमदावाद (8) श्री विजयदानसूरि ज्ञानमंदिर, अमदावाद (9) श्री संवेगीनो उपाश्रय जैन ज्ञानभंडार, अमदावाद (10) श्री मुक्तिकमल जैन मोहन ज्ञानमंदिर, वडोदरा (11) श्री आत्मारामजी जैन ज्ञानमंदिर, वडोदरा (12) श्री जैनानंद पुस्तकालय, सूरत (13) श्री हेमचन्द्राचार्य ज्ञानमंदिर, पाटण (14) श्री अमरविजयजी जैन ज्ञानभंडार, डभोई (15) श्री मुक्ताबाई ज्ञानमंदिर, डभोई (16) श्री लावण्यविजय जैन ज्ञानभंडार, राधनपुर (17) श्री वीरसूरीश्वरजी जैन ज्ञानभंडार, राधनपुर
SR No.004340
Book TitleNamaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vardhak Sabha
Publication Year1961
Total Pages592
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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