________________ (19) 42. अविरयसम्मो तित्थं आहारदुगामराउ य पमत्तो / मिच्छद्दिट्टी बंधइ जिट्ठठिई सेसपयडीणं // सव्वुक्कस्सठिदीणं मिच्छाइट्टी दु बंधगो भणिदो / आहारं तित्थयरं देवाउं वा विमोत्तूणं // देवाउगं पमत्तो आहारयमप्पमत्तविरदो दु / तित्थयरं च मणुस्सो अविरदसम्मो समज्जेइ / __ कर्मकाण्ड गा० 135-36. 43-45. विगलसुहुमाउगविगं तिरिमणुया सुरविउविनिरयदुर्ग / एगिदिथावरायव आ ईसाणा सुरुकोसं // तिरिउरलदुगुजोयं छिवट्ठ सुरनिरय सेस चउगइया / आहार जिणमपुवोऽनियट्टि संजलण पुरिस लहुं / / - सायजसुच्चावरणा विग्धं सुहुमो विउविछ असन्नी / सन्नी वि आउवायरपजेंगिदी उ सेसाणं // णरतिरिया सेसाउं वेउब्वियछक्क वियलसुहुमतियं / सुरणिरया ओरालियतिरियदुगुज्जोव संपत्तं // देवा पुण एइंदिय आदावं थावरं च सेसाणं / * उक्कस्स संकिलिट्टा चदुगदिया ईसिमज्झिमया // कर्मकाण्ड गा० 137-38. 46. उक्कोसजहन्नेयर भंगा साई अगाइ धुव अधुवा / चउहा सग अजहन्नो सेसतिगे आउचउसु दुहा // अजहण्णद्विदिबंधो चउविहो सत्तमूलपयडीणं / सेसतिये दुवियप्पा आउचउक्के वि दुवियप्पो // कर्मकाण्ड गा० 152. 47. चउमेओ अजहन्नो संजलणावरणनवगविग्घाणं / - सेसतिगि साइअधुवो तह चउहा सेसपयडीणं // संजलणसुहुमचोदसघादीणं चदुविधो दु अजहण्णो / सेसतिया पुण दुविहा सेसाणं चदुविधा वि दुधा // कर्मकाण्ड गा० 153. 49-51 गाथाः // 19-51 गाथानां विषयः कर्मकाण्डस्य 148-50 गाथासु द्रष्टव्यः /