________________ (18) 28-32 गाथाः॥ 28-32 गाथानामुत्तरप्रकृतीनामुत्कृष्टस्थितिबन्धनिरूपणं कर्मकाण्डस्य 128-32 गाथासु समवलोकनीयम् / 32. .......एवइयावाह वाससया। उदयं पति सत्तण्हं आवाहा कोडिकोडि उवहीणं / वाससयं तप्पडिभागेण य सेसद्विदीणं च // ___ कर्मकाण्ड गा० 156. 33. गुरु कोडिकोडिअंतो तित्थाऽऽहाराण भित्रमुहु बाहा लहु ठिद संखगुणूणा................................॥ अंतोकोडाकोडिटिदिस्स अंतोमुहुत्तमाबाहा / संखेजगुणविहीणं सवजहण्णट्ठिदिस्स हवे // पुन्वाणं कोडितिभागादासंखेयअद्धवोत्ति हवे / आउस्स य आवाहा ण द्विदिपडिभागमाउस्स // कर्मकाण्ड गा० 157-58. 33. ......नरतिरियाणाउ पल्लविगं // नरतिरियाऊण तिण्णि पल्लाणि। कर्मकाण्ड गा० 133. 35-36 गाथे // 35-36 उत्तरप्रकृतीनां जघन्यस्थितिबन्धस्य निरूपणं कर्मकाण्डस्य 140-13 गाथासु प्रेक्षणीयम् / 37-38 गाथे॥ 37-38 गाथयोर्विषयः कर्मकाण्डस्य 144-145-142 गाथासु द्रष्टव्यः / 40-41. सत्चरस समहिया किर इगाणुपाणुम्मि हुंति खुडभवा / सगतीससयतिहुत्तर पाणू पुण इगमुहुचम्मि // पणसद्विसहस पणसय छत्तीसा इगमुहुत खुडभवा / आवलियाणं दो सय छप्पना एगखुडभवे // तिण्णि सया छत्तीसा छावहि सहस्सगाणि मरणाणि / अन्तोमुहुत्तकाले तावदिया चेव खुद्दभवा // जीवकाण्ड गा० 123.