________________ 22. मूलपयडीण अडसत्तछेगबंधेसु तिन्नि भूगारा / अप्पतरा तिय चउरो अवट्ठिया न हु अवतो // चचारि तिणि तिय चउ पयडिट्ठाणाणि मूलपयडीणं / भुजगारप्पदराणि य अवहिदाणि वि कमे होति / कर्मकाण्ड गा० 153. 23. एगादहिगे भूओ एगाईऊणगम्मि अप्पतरो / तम्मचोऽवडियओ पढमे समए अवत्तहो / ___ अप्पं बंधतो बहुबंधे बहुगादु अप्पबंधे वि / उभयत्य समे बंधे भुजगारादी कमे होन्ति // कर्मकाण्ड गा० 169. 24. नव छ बउ दंसे दुदु ति दु मोहे दु इगवीस सत्तरस / तेरस नव पण चउ ति दु इको नव अट्ठ दस दुनि / / एतद्वायोक्तानां दर्शनावरणमोहनीययोर्भूयस्कारादीनां भङ्गानां वर्णनं कर्मकाण्डस 159-160-463-468 गाथासु विस्तरतो द्रष्टव्यम् / 25. तिपणछअट्ठनवहिया वीसा तीसेगतीस इग नामे / छस्सगअट्टतिबंधा........................... तेवीसं पणवीसं छब्बीस अट्ठवीसमुगतीसं / तीसेक्कतीसमेवं एको बंधो दुसेढिम्हि / / कर्मकाण्ड गा० 521. 25. ...सेसेसु य ठाणमिकिकं // सेसेसेयं हवे ठाणं // कर्मकाण्ड गा० 158. 26-27. वीसऽयरकोडिकोडी नामे गोए य सत्तरी मोहे / तीसयर चउसु उदही निरयसुराउम्मि तित्तीसा / / मुत्तुं अकसायठिई वाह मुहुत्ता जहण्ण वेयणिए / अट्ट नामगोएसु सेसएसुं मुहुचतो॥ तीसं कोडाकोडी तिघादितदियेसु वीस णामदुगे। सत्तरि मोहे सुद्धं उवही आउस्स तेचीसं // 127 / / पारस य वेयणीये णामागोदे य अ य मुहुत्ता। भिण्णमुहुत्तं तु ठिदी जहण्णयं सेसपंचण्हं // 139 / / कर्मकाण्ड गा० 127, 139. मूलाचार पर्या० गा० 200, 202.