________________ छट्ठा कर्मप्रन्धनो विषयानुक्रम / गाथा विषय 7-9 पू० दर्शनावरणीयकर्मनी उत्तरप्रकृतिओने आश्री बन्धादिस्थानोनुं कथन अने तेमनो संवेध 156-58 उ० वेदनीय आयुःकर्म अने गोत्रकर्मने आश्री बन्धादिस्थानोनुं निरूपण अने तेमनो संवेध 159-61 मोहनीयकर्मनां बन्धस्थानो 161-62 मोहनीयकर्मनां उदयस्थानो 162 12-13 मोहनीयकर्मनां सत्तास्थानो 163 14 मोहनीयकर्मनां बन्धस्थानोने लगता भांगाओ अने तेनुं कालप्रमाण 163-64 15-20 मोहनीयकर्मनां बन्धस्थानोनो उदयस्थानो साथे संवेध, तेने लगता भांगाओ, भांगाओनी सर्व संख्यानुं प्रमाण अने पदवृन्दोनी संख्या 164-70 21-23 मोहनीयकर्मनां बन्धस्थानोनो सत्तास्थानो साथे संवेध 171-75 24-25 नामकर्मनां बन्धस्थानो अने तेने लगता भांगाओ 175-80 26-28 नामकर्मनां उदयस्थानो अने तेने लगता भांगाओ 180-88 29 नामकर्मनां सत्तास्थानो 188 30-32 नामकर्मनां बन्द-उदय-सत्तास्थानोनो परस्पर संवेध 189-95 33-38 आठे कर्मनी उत्तरप्रकृतिओनां बन्ध-उदय-सत्तास्थानो अने तेना संवेधना जीवस्थानोने आश्री स्वामीओ 195-207 39-50 आठे कर्मनी उत्तरप्रकृतिओनां बन्ध-उदय-सत्तास्थानो अने तेना संवेधनो गुणस्थानोने आश्री विचार 207-35 51-53 आठे कर्मनी उत्तरप्रकृतिओना बन्ध-उदय-सत्तास्थानोनो अने। संवेधनो गत्यादि मार्गणास्थानोने आश्री विचार 235-41 51 आठे कर्मनां उदीरणास्थानोने उदयस्थाननी माफक समजी लेवानी भलामण 241-42 55 उदीरणा सिवाय उदयमा आवती एकतालीस प्रकृतिओनां नामो 242-43 56-60 कया गुणस्थानमां कई प्रकृतिओ बंधाय तेनुं निरूपण 243-45 61 शुं बधी गतिओमां बधी प्रकृतिओ प्राप्य छे ! ए प्रश्न, निराकरण 245-46 62 / उपशमश्रेणिनुं स्वरूप 246-56 अनन्तानुबन्धीनी उपशमना 246-49 यथाप्रवृत्तिकरण, स्वरूप 246 अपूर्वकरण- स्वरूप 247 स्थितिघातनुं स्वरूप 247