________________ छट्ठा कर्मग्रन्यनो विषयानुक्रम / गाथा - 95-96 योगस्थान, प्रकृति, प्रद विषय पत्र 89 उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध अने जघन्य प्रदेशबन्धना स्वामीओ 105-6 90-92 मूलकर्मप्रकृति अने उत्तरकर्मप्रकृतिने आश्री उत्कृष्ट प्रदेशबन्धना स्वामीओ 106-10 मूलकर्मप्रकृति अने उत्तरकर्मप्रकृतिने आश्री जघन्य प्रदेशबन्धना स्वामीओ 110-12 प्रदेशबन्धना साद्यनादि भांगाओ 112-16 योगस्थान, प्रकृति, प्रदेश, स्थितिबन्धाध्यवसाय, स्थिति, अनुभागबन्धाध्यवसाय, अनुभाग ए सातनुं परस्पर अल्पबहुत्व . 117-22 घनीकृत लोक, श्रेणिरज्जु-सूचीरज्जु, प्रतररज्जु अने घनरज्जुनु 123-24 उपशमश्रेणि 124-32 99-100 क्षपकश्रेणि अने शतक कर्मग्रन्थनो उपसंहार 132-36 ग्रन्थकारनी प्रशस्ति 137 स्वरूप छट्ठा कर्मग्रन्थनो विषयानुक्रम / 140 मंगलाचरण अने अभिधेयर्नु निरूपण 139-40 बन्ध उदय सत्ता अने प्रकृतिस्थान- स्वरूप जीव केटली प्रकृतिओने बांधतो केटली वेदे केटली सत्तामा होय इत्यादि प्रश्न अने तेना उत्तरमा अनेक विकल्पो / ज्ञानावरणीयादि मूलकर्मप्रकृतिओनुं स्वरूप अने तेने आश्री प्रकृतिस्थानोनुं वर्णन आदि 141-43 मूलप्रकृतिने आश्री बंध-उदय-सत्तास्थानविषयक परस्पर संवेधना सात विकल्पो 143-14 मूलप्रकृतिविषयक संवेधना साते प्रकारोनो जीवस्थान अने गुणस्थानोने आश्री विचार 144-45 ज्ञानावरणीयादिकर्मोनी उत्तरप्रकृतिओनुं स्वरूप / 145-55 ज्ञानावरणीयकर्म अने अन्तरायकर्मनी उत्तरप्रकृतिओने आश्री बन्धादिस्थानोनुं निरूपण अने तेमनो परस्पर संवेध 156