________________ 188 गाथा विषय पत्र 50 गुणस्थानमा छ लेश्यानुं स्वरूप 182 50 मिथ्यात्वादि मूलबन्धहेतुर्नु कथन 183 50 अहीं प्रमादने वन्धहेतु तरीके केम न जणाव्यो ? तेनुं समाधान 183 51 मिथ्यात्व अने अविरतिरूप मूलबन्धहेतुना उत्तरभेदोनुं स्वरूप 183 52 कषाय अने योगरूप मूलबन्धहेतुना उत्तरभेदोनुं स्वरूप 283 52 गुणस्थानमा चार मूलबन्धहेतुनुं स्वरूप / 184 53 प्रसङ्गोपाव मूलबन्धहेतुनो कर्मनी उत्तरप्रकृति आश्री विचार 184 54 गुणस्थानमा सामान्यथी बन्धहेतुना उत्तर भेदोनी सङ्ख्या 185 55-58 गुणस्थानमा बन्धहेतुना उत्तरभेदोनुं सविशेष स्वरूप. 185-87 59 गुणस्थानमा कर्मनी मूलप्रकृतिना बन्धनुं स्वरूप 60 गुणस्थानमा कर्मनी मूलप्रकृतिनी सत्ता अने उदयनुं खरूप 188 61-62 गुणस्थानमा कर्मनी मूलप्रकृतिनी उदीरणानुं स्वरूप 62-63 गुणस्थानमा वर्तमान जीवोना अल्पबहुत्वनुं स्वरूप चतुर्थ भावाधिकार. 64 छ भावनां नाम तेनी व्याख्या अने उत्तरभेदोनी सङ्ख्या 64 औपशमिक भावना बे भेदोनुं स्वरूप / 65 क्षायिक अने क्षायोपशमिकभावना क्रमथी नव अने अढार . भेदोनुं स्वरूप 65 दानादि पांच लब्धियो प्रथम क्षायिकभावनी जाणावी अहीं क्षायो पशमिक भावनी कही तो विरोध केम नहिं ? ए शङ्कानु समाधान 66 औदयिक अने पारिणामिकभावना क्रमथी अढार अने त्रण भेदोनुं स्वरूप 66 कर्मना उदयथी उत्पन्नथनारा निद्रापञ्चक आदि घणा भावो होइ शके छे तो छ भावो ज केम कह्या ? ए शङ्कानुं समाधान 66 छट्ठा सानिपातिक भावना छवीस भेदो . 67-68 सान्निपातिक भावना संभवी शकता छ भेदोमांथी गत्यादि आश्री केटला होय अने केटला न होय ? तेनुं स्वरूप 192. 68 सान्निपातिक भावना पूर्व छवीस भेदो बताव्या छे आ ठेकाणे वीस अने पंदर मलीने पांत्रीस थाय छे तो विरोध केम नहि ? ए शङ्कानुं समाधान 69 जीवआश्रित आठ कर्मोमां औपशमिकादि पांच भावोनुं स्वरूप : 69 धर्मास्तिकायादि पांच अजीवनुं स्वरूप 193 191 191 191 193.