________________ गाया विषय 51 गोत्रकर्मना उच्चगोत्र अने नीचगोत्र ए के भेदोमुं दधान्तद्वारा स्वरूप __अने अन्तरायकर्मना दानान्तराय आदि पांच भेदोनुं स्वरूप 52 अन्तरायकर्मनुं दृष्टान्तद्वारा स्वरूप 53 ज्ञानावरण अने दर्शनावरणकर्मना बन्धहेतुओ 54 सातावेदनीय अने असातावेदनीयकर्मना बन्धनां कारणो 55 दर्शनमोहनीयकर्मना बन्धनां कारणो 56 कषाय अने नोकषायरूप से प्रकारना चारित्रमोहनीय कर्म अने नरकायुकर्मना बन्धहेतुओ 57 तिर्यगायुकर्म अने मनुष्यायुकर्मना बन्धनां कारणो 58 देवायु अने शुभ-अशुभनामकर्मना बन्धहेतुओ 59 उच्च-नीचगोत्रकर्मना बन्धहेतुओ 60 अन्तरायकर्मना बन्धहेतुओ तथा ग्रन्थनो उपसंहार प्रन्थकारनी प्रशस्ति. कर्मस्तवनामक बीजा कर्मग्रन्थनी विषयसूची / 000000000 -- गाथा पत्र S 68 विषय 1 मङ्गलाचरण आदि बन्ध, उदय, उदीरणा अने सत्तार्नु लक्षण 2 चौद गुणस्थाननां नामो 'गुणस्थान' शब्दनी व्याख्या मिथ्यादृष्टिगुणस्थान- स्वरूप मिथ्यादृष्टिने गुणस्थाननो संभव केम होइ शके 1 ए शङ्का समापन जो गुणस्थान होय तो तेने मिध्यादृष्टि केम कही : शकाय? ए शानुं समाधान सास्वादनसम्यग्दृष्टिगुणस्थाननुं अने प्रन्थिभेदतुं स्वरूप मिश्रगुणस्थाननुं अने त्रणपुञ्जनुं स्वरूप अविरतसम्यग्दृष्टिगुणस्थाननु स्वरूप, तेने लमा आठ भको अने ए भलोनी स्थापना देशस्तिगुणस्थान- स्वरूप 68 *7.