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________________ गाथा विषय 17 चारित्रमोहनीयकर्मना बे भेदो अने तेना उत्तरभेदो कषायना सोळ भेदोनुं स्वरूप 18 चार कषायनी स्थिति, गति अने तेनी विद्यमानतामा सम्यस्त्व आदिना अभावनुं वर्णन 19 जलरेखा आदि दृष्टान्तद्वारा चार प्रकारना क्रोधनुं अने तिनिशलता आदि दृष्टान्तद्वारा चार प्रकारना मानतुं वर्णन 20 अवलेहिका आदि दृष्टान्तद्वारा चार प्रकारनी मायानुं अने हरिद्रादि दृष्टान्तद्वारा चार प्रकारना लोभनुं वर्णन 21 नोकषायमोहनीयकर्मना हास्यादि छ भेदोन स्वरूप भयमोहनीयना सात भेदोनां नाम 22 नोकषायमोहनीयकर्मना स्त्रीवेद आदि त्रण वेदोनुं स्वरूप 23 चारप्रकारना आयुष्कर्मनुं स्वरूप अने नामकर्मना 42, 93, 103 अने 67 उत्तरभेदोनी सङ्ख्या 24-27 नामकर्मनी बेतालीस प्रकृतियो चौद पिण्डप्रकृति, आठ प्रत्येकप्रकृति, सदशक अने स्थावरदशकनुं स्वरूप 39-41 28 सचतुष्क स्थावरषटू आदि प्रकृतिबोधक शास्त्रीय संज्ञाओ 29 चौद पिण्डप्रकृतिना 65 उत्तरभेदो 30 नामकर्मनी 93, 103 अने 67 प्रकृतियोनुं निरूपण 31 बन्ध, उदय, उदीरणा अने सत्तामा केटली केटली प्रकृतियो होय? तेनी सङ्ख्या 32 पिण्डप्रकृतियोनुं विशेष व्याख्यान गतिनामकर्मना चार भेदोनुं स्वरूप जातिनामकर्मना पांच भेदोनुं स्वरूप जातिनामकर्मने मानवानुं प्रयोजन तनुनामकर्मना पांच भेदोनुं स्वरूप कार्मणशरीरसहित जीव गत्यंतरमा जाय छे तो ते जीव जतो आवतो केम देखातो नथी ? ए शङ्कानुं समाधान 33 अङ्ग-उपाङ्गना भेदो अने अङ्गोपाङ्गनामकर्मना त्रण भेदोनुं स्वरूप 46 34 बन्धननामकर्मना औदारिकबन्धन आदि पांच भेदोनुं दृष्टान्तपूर्वक स्वरूप 46 35 सनातननामकर्मना औदारिकसङ्घातन आदि पांच भेदोनुं दृष्टान्तपूर्वक स्वरूप 46 45 .
SR No.004334
Book TitleChatvar Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherJain Atmanand Sabha
Publication Year1997
Total Pages260
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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