________________ 226] CHAPTER IX पनिकहे तेन सह सिद्धिसुखकोपादातुरात्मनः सर्वथा पश्चादभूतात्मकत्वेन यः चयः स एव श्रेयानिति नास्ति मुक्त आत्मा। स तावदकारणत्वेन न खयं विद्यते। वन्ध्यापुत्रवत्। तस्य स्वरूपसद्भावे च नित्यत्वेनाविकाराद बन्धमोक्षोभयविशेषाभावेन पूर्व मिव संसारनिवृत्तिनं स्यात्। विशेषाभ्युपगमे 'विकारसद्भावादनित्यः स्यात् / अनित्यस्य च सकारणत्वं स्यात् / ततश्च दुःखसन्तानः सदृश एव स्यात् स्ववाद त्यागश्च / तस्मान युक्तामस्यात्मानमभ्युपेतुम् / अभ्युपेत्यापि हि यत्परं प्रति प्रतिपादनासामर्थ्यादुक्तदोषाच्च परित्याज्यं किं तेनाभ्युपगतेन प्रयोजनमिति त्यज्यतामात्मवादः // 24 // 225 CSV : यद्येवं मुक्तावस्थायां मुक्तात्मनोऽप्यसझावः संस्काराणां चापुनउत्पत्त्या सर्वथा परिक्षयरूपं परमार्थसंज्ञकं निर्वाणं वयेते तदलमेतेनेदृशेन परमार्थेनार्थितेनेत्यत आत्मकामस्य -1 hjig rten pa hdi nid bla yil don dam mam kun ma yin te hjig rten pa la cun zad yod dam pahi don la yod ma yin || 25 || rnal "byor spyod pa bz'i brgya las dnos po stag pa dgag pa bsgom pa bstan pa ste | rab tu byed pa dgu paho !! 9 || __ * वरं लौकिकमेवेदं परमार्थो न सर्वथा। लौकिके विद्यते किञ्चित्परमार्थे न विद्यते // 25 // ॥योगाचार चतुःशतके नित्यार्थ प्रतिषेधभावना सन्दर्शन' नवमं प्रकरणम् // 5 // CSV : नैव ह्यात्म कामो लोचनामयसम्पाताशङ्कयाक्ष्योरुत्पाटन मनुतिष्ठति करोति त्वामयोपघातमेव / तथा संसारदुःखोहिम्नस्य दुःखत्याग * See p. 66, note 1. .. Tib khyad par khas len na yan ; HPS deggamena. * For anityasya Tib. tatah (debi phyir). * Tib. ran gi rtsod pa btan bar hgyur ro || After syat HPS : evar ca sati svabhava. tyagab syat. . Tib. atyantam (gtan). * Tib. atmafreyaskama-.(bdag legs su hdod pa). CSV throughout ad. bodhisttva- (byan chub sems dpahi). .Csv in Tib. ad. samapatti (tii ne hdzin); HPS nityarthaprativedho nama navamam * Tib.ad. kreyas (legs).