________________ 237] CHAPTER X 83 विद्यते न चैतन्यमिति न युन्यते / यच्च चैतन्यशक्तिसनावात् पुरुषस्यास्तित्वं कल्पावे तदप्ययुक्तम्। निराधारायाः शक्ते रसद्भावात् // 11 // 237 CSV : पपि चायं पुरुषो यदि चैतन्य व्यक्तः पूर्व चैतन्यशक्तिरूपः स्यात् तदा -1 gz'an du ses pa yod pahi khams | mthon z'in gz'an du ses yod de lcags kyi z'u nid bz'in dehi phyir | skyes bu rnam par hgyur bar hgyur || 12 || In c Vx of CSV adds na after bz'in. चेतनाधातुरन्यन दृश्यतेऽन्यत्र चेतना। द्रवत्वमिव लोहस्य विक्वतिं यात्यतः पुमान् // 12 // CSV : चैतन्यस्य हैरूप्यकल्पनायामन्यत्र पृथक्वेन चेतनायाचेतनाधातुखेतमाबीजं चेतनाशक्ति श्यते त्वया चेतनाशक्तचान्यत्र पृथक् चेतना। तम्माचेतनाधातोश्चेतना प्रवर्तमाना चेतना'धातुसमानदेशा प्रवर्तवे। दृष्टातमाह। ट्रवत्वमिव लोहस्येति। इह यथा लोई द्रवत्वमापद्यमानं शोहदेशाभिवदेशं भवति तहत्। बोजाङ्गुरयोगविर्भावतिरोभावदर्शनाव समानदेशता। न च पुरुषस्याविर्भावतिरोभावाविति समानदेशत्व मस्ति। अत एवाचार्यो द्रवत्वमिव लोहस्येति। लोहस्य द्रवतादृष्टान्तमाह। न च चैतन्यशक्तिरूपात् पृथक् पुरुषो ऽस्ति व्यक्तः। ततोऽनन्यत्वात् / तदयं शक्तिरूपापब्रो व्यक्तिरूपतामापद्यमानो . द्रवत्वमिव लोहस्य विकृति यात्यतः पुमान् // विक्रियमाणत्वाञ्च लोहवदेव नास्यात्मनो नित्यत्वमिति सिद्धम् // 12 // 1 Tib yod; HPS samvidyate. Tib. gan yan; HPS yac caitanya'. . Tib. ad. tada (dehi tshe). * Tib rtog pa ; HPS kalpyeta. . Tib. jnanasyasya purvam (ses pa hdini sna rol na). * Tib. bes pa yod pa mthon ste| dehi phyir; HPS om. cetana | tasmat. ' Tib. om. cetana. . Tib. hdir ; HPS om. it.. * HPS-desam asti. 16 Tib. om. acaryah. 11 lcaga kyi z'u nid bz'in z'es; HPS om. dravao syeti. " Tib. purusa saktir vyaktasti (skyes buhi nus pagsal bar yod pa).