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________________ विभाग] ऋषिमण्डलस्तवयन्त्रालेखनम् अर्हन्तः शशि-सुविधी सिद्धाः पद्माभ-वासुपूज्यजिनौ / धर्माचार्याः षोडश मल्लिः पार्थोऽप्युपाध्यायः // 21 // सुव्रत-नेमी साधुर्जिनरूपः शक्ति-शिवमयस्त्वेषः / त्रिपुरुषमूर्तियेयोऽलक्ष्यवपुः सर्वधर्मवीजमिदम् // 22 // - अनुवादः-हीकारमा चन्द्रप्रभ अने सुविधि ए बे अरिहंतरूपे, पद्मप्रभ अने वासुपूज्य ए बेड सिद्ध रूपे, 1-2-3-4-5-7-10-11-13-14-15-16-17-18-21 अने 24 मा जिनेश्वरो आचार्यरूपे, मल्लि अने पार्श्व ए बे उपाध्यायरूपे अने मुनिसुव्रत अने नेमि ए बे साधुरूपे ध्येय छ। आ हीकार जिनरूप छे, शक्ति अने शिवमय छे, त्रिपुरुषमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु अने महेशरूप !) छे, अने अलक्ष्य शरीरवाळो छ / ते सर्व धर्मना बीजरूप छे / // 21-22 / / + 60. अलक्ष्यवपुः-शब्दब्रह्मनी परा अवस्था जे प्रधान अवस्था छे ते अलक्ष्य छ / तेने शाक्त 10 लोको 'शक्ति' कहे छे, शिवभक्तो 'चिति' कहे छे, योगीओ 'कुण्डलिनी' कहे छे, सांख्यो 'प्रकृति' कहे छे, वेदांतीओं ‘ब्रह्म' कहे छे, बौद्धो 'बुद्धि' कहे छे अने जैनो 'कुण्डलिनी', 'प्राणशक्ति', 'कला' वगेरे कहे छे–तेनुं मूर्तस्वरूप ही कार छ / 'अलक्ष्यवपुः 'वडे रूपातीत ध्यान सूचवाय छे / + श्लोक नं. 21-22 मां रूपस्थ ध्याननो निर्देश थाय छे। श्लोक नं. 21 मां तथा श्लोक नं. 22 ना पहेला पादमां हीकार ते पंचपरमेष्ठिमय छे ते स्थापित कर्यु। आ प्रकार आगळ श्लोक नं. 17-18 मां दर्शावायो छे 15 परंतु त्यां हीकारनी संज्ञा अक्षर तरीके मुख्यता इती एटले त्यां पदस्थ ध्यान हतुं / अहीं श्लोक नं. 21 तथा नं. 22 ना पहेला पादमां अधिष्ठान करायेला रूपनी मुख्यता छे अने तेथी रूपस्थ ध्यान छे / अहीं श्लोक नं. 21-22 मां जैन तथा जैनेतरं प्रणालिकाओनो निर्देश थाय छे ते नीचे प्रमाणे :1. ही कार जिनस्वरूप छ। , पंचपरमेष्ठि स्वरूपे जिनावलिमय छ। ,,, 'शक्ति' अने 'शिव'मय छ। 4. ,, ,, 'त्रिपुरुषमूर्ति' छे / आथी ते ब्रह्मा, विष्णु अने महेशरूप छ / ध्येय छ। ,, 'अलक्ष्यवपुः' छ / वाणीनी परा अवस्था जे अलक्ष्य छे तेनु मूर्तस्वरूप हीकारमा ज आपी शकाय / 7.... सर्व धर्मना मंत्रबीजरूप अक्षर छे / तात्पर्य के सर्व धर्मों ए बीजाक्षरने माने / . 25
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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