________________ विभाग] 5 ऋषिमण्डलस्तवयन्त्रालेखनम् - औंदावों ही प्रभृत्येकं, बीजैयुगं ततो नमः / मध्येऽर्हद्भ्यः सिद्धेभ्य इति दिक्षु पदाष्टकम् // 7 // अनुवादः–प्रारंभमां—ओ अने हा वगेरेमांथी एक बीज एम वे बीजको–ते पछी नमः-- वचमां अर्हद्भयः सिद्धेभ्यः ए प्रमाणे दिशाओमां आठ पदो (लखवां) // 7 // * ऍषामधः ऊमादिन्द्राग्नि-यमा नैर्ऋतिस्तथा। वरुणो वायु-कुबेरावीशानश्च यथाक्रमम् // 8 // अनुवादः-तेओनी पछी क्रमशः इन्द्र, अग्नि, यम, नैर्ऋति तथा वरुण, वायु, कुबेर अने ईशान अनुक्रमे (लखवा-आलेखवा) // 8 // एषामधो रविश्चन्द्र-मङ्गलौ बुध-वाक्पती / भार्गवः शनि-राहू च, लिखेद् दिक्षु पँहाष्टकम् // 9 // 10 अनुवादः-तेओनी पछी सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि अने राहु ए प्रमाणे आठ ग्रहो (आठ) दिशामां लखवा // 9 // 15 20 29, आदावो-आदौ+ओ (j)-आदौ पछी 'अंशे' अध्याहार छ। आठ दिशा माटे पदाष्टकना पहेला अंशमां ऊंकार / 30. हाँ प्रभृत्येकं–हाँ थी हू: सुधीना बीजाष्टकमांथी एक। 31. बीजयुगम्-बे बीज / ॐ ह्रा-उँ ही वगेरे बे बीजाक्षरो। 32. एषामधः-तेओनी पछी। उपर जे विधिक्रम दर्शावायो त्यारपछी / 33. क्रमात्-आलेखन माटे विधि अथवा आम्नायना क्रम प्रमाणे-क्षाराब्धिवलयजंबूद्वीप-अष्टकाष्ठावलय तेमां बीजाक्षर पदाक्षर पछी लोकपालो। 34. यथाक्रमम्-लोकपालोने दर्शावेला क्रम प्रमाणे आलेखवा / 35. ग्रहाष्टकम्-प्रह नव छे; परंतु अहीं स्तवमां अष्टकनी मुख्यता होवाथी केतुने गौण करी राहु साथे आलेखाय छ। * उ हाँ अर्हद्भयो नमः // 1 // पूर्व सरखावो ही सिद्धेभ्यो नमः // 2 // अग्मि 'ॐ नमोऽहम्य ईशेभ्यः, ॐ सिद्धेभ्यो नमो नमः / उहूँ आचार्येभ्यो नमः // 3 // दक्षिण ॐ नमः सर्वसूरिभ्यः, उपाध्यायेभ्यः ॐ नमः // 4 // 25 उ हूँ उपाध्यायेभ्यो नमः // 4 // नैर्ऋत ॐ नमः सर्वसाधुभ्यः, ऊँ ज्ञानेभ्यो नमो नमः / . हे साधुभ्यो नमः // 5 // पश्चिम ॐ नमः तत्त्वदृष्टिभ्यः, चारित्रेभ्यस्तु उ नमः॥५॥ उ है ज्ञानाय नमः // 6 // वायव्य ॐ हौ दर्शनाय नमः // 7 // उत्तर श्रेयसेऽस्तु श्रिये त्वेतत् , अहंदाद्यष्टकं शुभम् / चारित्राय नमः // 8 // ईशान स्थानेष्वष्टसु विन्यस्तं, पृथग्बीजसमन्वितम् // 6 // adale dadede