________________ नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत परमेष्ठयक्षराश्चाद्याः, पश्चातो "ज्ञान-दर्शनचारित्रेभ्यो नमः" मन्त्रः पैदबीजाँष्टकोज्ज्वलः // 6 // * [मन्त्रोद्धारः-जाप्यमन्त्रः-] "ऊँ हाँ ही हूँ हूँ है है हौ हः असि आ उ सा ज्ञान-दर्शन-चारित्रेभ्यो नमः // " अनुवादः-पछी परमेष्ठीवाचक प्रथम अक्षरो-पहेला पांच (अ सि आ उ सा) त्यारबाद 'ज्ञानदर्शनचारित्रेभ्यो नमः'--आ मंत्र छे। ते पदाष्टक तथा बीजाष्टकथी उज्ज्वळ छे // 6 // Dhoka Dhoki chox chok आउसा 25. परमेष्ठ्यक्षराश्चाद्याः-परमेष्ठि + अक्षराः + च + आद्याः-पांच परमेष्ठीना आदि अक्षरो-अ सि आ उ सा। ___26. पदाष्टकः-आठ पदो। 'अ सि आ उ सा' ना पांच पदो तथा 'ज्ञान, दर्शन अने 10 चारित्रना' त्रण मळी आठ पदो। -सामान्य बीजना धर्मो जेमां होय ते बीज कहेवाय छे / जेम बीजमांथी फणगो- अंकुरो अने फळ निपजे छ तेम आ बीजाष्टकमांथी शान्त्यादि अर्थक्रियारूप फळ निपजे छ / 28. उज्ज्वलः-मंत्र पदाष्टकथी तथा बीजाष्टकथी अलंकृत छ। o that Story Phox tox Stick है 15 * सरखावोः(१) 'ऋषिमण्डलस्तोत्र' मा जाप्यमन्त्र आ प्रकारे दर्शाव्यो छे:"ऊँ हाँ ही हूँ हँ हे है हौ हूँ: अ सि आ उ सा सम्यग् दर्शन-ज्ञान-चारित्रेभ्यो नमः // " पूज्यनामाक्षरा आद्याः, पञ्चातो ज्ञान-दर्शन चारित्रेभ्यो नमो मध्ये, ही सान्तः समलङ्कृतः // 10 // 20 (2) इदमेव हि बीजम् 'अधोरेफ-आ-ई-ऊ-औ-अं अः' एतैर्युक्तं बीजं भवतीति व्यापकत्वं चास्य / -श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासनम् / अनुवादः-आ (हकार) बीज-नीचे रेफ तथा आ, ई, ऊ, औ, अं अः-एवा छ स्वरो पैकी कोईथी युक्त थतां बीज बने छे / एज एनी व्यापकता छ।