________________ [संस्कृत नमस्कार स्वाध्याय आशाहीन क्रियाहीनं, मन्त्रहीनं च यत्कृतम् / तत् सर्व क्षम्यतां देवि ! प्रसीद परमेश्वरि // 25 // एतद् गुह्यं समाख्यातं, मायावीजस्य जीवनम् / न देयं यस्य कस्यापि, मन्त्रविह्निः कदाचन // 26 // // इति मायाबीजस्तुति-पूजास्तवनम् // 5 (उपसंहारमा क्षमापनादि माटे 'आज्ञाहीन....' इत्यादि श्लोक बोलवो।) मंत्रनी आराधना करतां कई पण आज्ञाविरुद्ध थयुं होय, क्रियाहीन-क्रियामां कई पण खामी आवी होय, मंत्रहीन-मंत्र बोलवामां कई पण हीन अथवा विपरीत बोलायुं होय, अथवा एवी बीजी कोई पण खामी आवी होय तो हे देवि! तेनी क्षमा करो। हे परमेश्वरि ! मारा उपर प्रसन्न थाओ // 25 // 10 आगमोमां आ विधानने मायाबीजनुं रहस्य अथवा जीवन कहेवामां आव्युं छे / मंत्रविद् पुरुषोए __ जेने तेने (अयोग्यने) ते कदी पण न आपq // 26 // परिचय आ स्तुतिनी एक नकल आ० श्रीविजयप्रतापसूरिजी पासेथी अमने प्राप्त थई हती। तेने भाषानी दृष्टिए सुधारी अनुवाद साथे प्रगट करी छ। 15 . मायाबीज ए हीकारनुं ज बीजुं नाम के एटले आ स्तुति 'हीकारविषा' उपर प्रकाश नाखे छ। एनी बीजा प्रकारनी साधना-खास करीने होमविषयक साधना अने महत्ता बतावनारी आ कृति छ। तेथी एम लागे छे के आ स्तोत्र कोई जैनेतर संप्रदायर्नु हो। आना कर्ता विशे कोई माहिती मळी नथी / आ स्तोत्रमा प्रथम पद्य उपजाति वृत्तमा अने पछीनां 25 पद्यो अनुष्टुप् वृत्तमा छ। होकारन स्वरूप, ध्यान, आराधना अने फळ विशे आ कृतिमां वर्णन छ।