________________ नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत निर्मलं सलिलं स्वच्छं, गालितं जन्तुवर्जितम् / पूर्वस्यां दिविभागे तु, मन्त्रयुक् स्लपनं स्मृतम् // 9 // स्नानमन्त्रः “उ प्राँ प्री पूँ प्रः अमले विमले अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा” / पश्चाद् भूमिं शुचिं कृत्वा, पृथ्वीबीजेन सर्वदा / ऊँ भूरसि भूतधात्रीय (भूतधात्रि), विश्वाधारे नमस्तथा // 10 // कौसुम्भ रक्तक्लं वा, पकूलं सहाञ्चलम् / परिधाय श्वेतवलं, ततः पूजनमारमेत् // 11 // विशालचतुरने च, पट्टे शैवनि(लि)के शुचौ। ऊर्णामये पवित्रे वा, आसनं क्रियते बुधैः // 12 // कर्पूरागरुकस्तूरीचन्दनैर्यक्षकर्दमैः। केसमिश्रितैः सम्यग् लेपनं युज्यतेऽन्वहम् // 13 // शतपत्रैश्चम्पकैः पुष्पैर्जातिपुष्पैः श्रीखण्डकैः / अष्टोत्तरशतं संख्य, पूजनं तत्र कारयेत् // 14 // देवपूजा प्रकर्तव्या, चैकचित्तेन सर्वदा। नैवेद्यं धूपनं पूगसुपत्राणि च ढोकयेत् // 15 // एवं कृतविधानेन, पश्चाद होमं च कारयेत् / गोमयेन भुवं लिप्त्वा, स्थण्डिलं तत्र कारयेत् // 16 // हवनविधान अने तेनुं फळ ___ (साधके) गाळेला, जन्तुओथी रहित, निर्मळ अने स्वच्छ एवा जलथी पूर्वदिशामां (मुख करीने?) 20 मन्त्रपूर्वक स्नान करवं, एम कहेलं छे // 9 // स्नानमंत्र:-"ऊँ प्राँ प्री | प्रः अमले विमले अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा"॥ .. - ए पछी हमेशां पृथ्वीबीजथी भूमिने पवित्र बनाववी। भूमिशुद्धिमंत्रः-“भूरसि भूतधात्रीय (धात्रि) विश्वाधारे नमः // " // 10 // ए पछी कसुंबाथी रंगेल के लाल वस्त्र, पटोळ के रेशमी पीतांबरादि वस्त्र अथवा श्वेत वस्त्र 25 पहेरीने पूजननो आरंभ करवो // 11 // विशाळ अने चोरस एवा शैवल (पद्म) काष्ठना बनावेला पवित्र पाटला उपर अगर पवित्र - ऊनना आसन उपर बेसवू // 12 // ____ कपूर, अगरु, कस्तूरी, चंदन, यक्षकर्दम (गोरोचन) अने केसरना मिश्रणवडे प्रतिदिन सारी रीते (पूर्वोक्त पटनुं ?) विलेपन करवू // 13 // 30 शतपत्र-कमळो, चंपानां फूलो, जाईनां फलो अथवा चंदननां पुष्पोथी त्यां एकसो ने आठ वार __ पूजा कराववी // 14 // देवनी पूजा हमेशां एकचित्तथी करवी अने नैवेद्य, धूप, सोपारी, सुंदर पत्रो वगेरे सामे मूकवां // 15 // आ प्रकारनी विधि करीने पछी होम करवो। (ते माटे) गोमय(छाण)थी भूमिने लीपीने त्यां स्थंडिल (होम माटे मांडलु) बनावq // 16 // .