________________ विभाग] 5 'ही'कारविद्यास्तवनम् किं मन्त्रयन्त्रैर्विविधागमोक्तैः दुःसाध्यसंशीतिफलाल्पलाभैः। सुसेव्यः सद्यः (सद्य: सुसेव्यः) फलचिन्तितार्थाधिकप्रदश्वेद(त)सि चेत्त्वमेकः // 10 // चौरारि-मारि-ग्रह-रोग-लूता-भूतादिदोषानल-बन्धनोत्थाः। भियः प्रभावात् तव दूरमेव नश्यन्ति पारीन्द्ररवादिवेभाः // 11 // प्राप्नोत्यपुत्रः सुतमर्थहीनः, श्रीदायते पत्तिरपीशतीह / दुःखी सुखी चाऽथ भवेन्न किं किं त(त्व)पचिन्तामणिचिन्तनेन // 12 // पुष्पादिजापामृतहोमपूजाक्रियाधिकारः सकलोऽस्तु दूरे / यः केवलं ध्यायति बीजमेव, सौभाग्यलक्ष्मीर्वृणुते स्वयं तम् // 13 // त्वत्तोऽपि लोकाः सुकृतार्थकाम-, मोक्षान् पुमर्थाश्चतुरो लभन्ते। यास्यन्ति याता अथ यान्ति येते श्रेयःपदं त्वन्महिमालवः सः // 14 // 10 विधाय यः प्राक् प्रणवं नमोऽन्ते, मध्यैबीजं ननु जञ्जपीति / तस्यैकवर्णा वितनोत्यवन्ध्या, कामार्जनी कामितमेव विद्या // 15 // 15 सुखे सेवी शकाय एवो अने चिंतव्या करतां पण विशेष तेमज शीघ्र फळ देनारो तुं एक जो चित्तमां विद्यमान छे तो पछी भिन्न भिन्न आगमोए निर्देशेला दुःसाध्य तेमज संदिग्धफलवाळा अने अल्प लाभवाळा अन्य मंत्रो अने यंत्रोथी शृं? // 10 // सिंहनी गर्जनाथी हाथीओ जेम दूरथी ज नासी जाय छे तेम तारा प्रभावथी चोर, शत्रु, मरकी, ग्रहो, रोग, लूता रोग, तथा भूत वगेरेना दोष, तथा अग्नि अने बंधनथी उत्पन्न थता भयो दूर चाल्या जाय छे // 11 // चिंतामणि समान तारा रूपनुं चिंतन करवायी शुं शुं प्राप्त यतुं नथी ? जेने पुत्र नथी तेने पुत्रनी प्राप्ति थाय छे, जेनी पासे पैसो नथी ते कुबेर समान बने छे, सेवक पण स्वामी बने छे अने दुःखी 20 सुखी थई जाय छे // 12 // . पुष्पो वगेरेयी जाप, घीनो होम, पूजा वगेरे क्रियानो समग्र अधिकार दूर रहो, पण केवळ तारा बीजनुं ध्यान करनारने सौभाग्यलक्ष्मी स्वयं वरे छे // 13 // महिमा तारा प्रभावथी लोको धर्म, अर्थ, काम अने मोक्षरूप चार पुरुषार्थोने प्राप्त करे छे। जेओ श्रेयनुं 25 स्थान (मोक्ष) प्राप्त करशे, प्राप्त करी गया अने प्राप्त करी रह्या छे ते तारा महिमानो अंश मात्र छ // 14 // जे मनुष्य पहेलां प्रणव 'ऊँ' अने अंते 'नमः' तेमज मध्यमां अनुपमबीज 'ही'कार (वडे बनेल मंत्र) नो पुनः पुनः जाप करे छे, तेनां वांछितोने एकवर्णवाळी, अवंध्य अने कामधेनु समान 'ही'कारविद्या विस्तारे छे // 15 // मंत्र:- ऊँ ही नमः 1. सुसाध्यः सद्यः फलचिन्तितार्थाऽधिकप्रदश्वेतसि चेत् त्वमेक: N. / 2. श्च नरा ल° N. | 3. वा N.) 4. मध्ये च N. / ..