________________ शविपत्रक -- 333 112 118 शुद्ध सषट्शती मलिः अशोका करवी पद्म अने अक्षसूत्रआदि जाईनां किन्तु शरीर(ऐहलौकिक) सरस्वती विबुधचन्द्र षटसु इन्स्टिट्यूटनी व्यसनैर्ग्रह शालि दुष्ट मनुष्यो के x गोरोचना जाई वगेरेनी पृष्ठ पंक्ति मशुद्ध 101 14 षट्शती 112 5 मल्ली 29 अशोक 114 13 करावी 115 22 पद्मना पारानी माला 16 जूईनां 119 19 शरीरनु 119 28 (इहलौकिक) 121 1 सरस्ती. 121 9 विबुधश्चन्द्र 122 126 7 इन्स्टियूटनी 1294 विचं 129 11 व्यसनैग्रह.. 129 22 शाली 129 24.. दुष्ट 130 - 14 गायनुं छाण 130 19 गोरोचना, गायनुं छाण 130 19 जूई वगेरेनी 1347 एतदूर्व :. 134 10 वज्रीङ्कुश्यै 135 7 : स्फुरच्चद्र० 136 17 जूईननं 137 7 [1] 137 . . .19 चारे 1138 4 आसिविसं 138 . 14 पूर्वोत्तराश (शा) 138 19 मुंचामि 139 17 हृदययां 142 16 143 24 वर्गों . 146 . 12 सकर्णाना 146 19 ज्ञानवाळा 146 23 योगथी...उत्पन्न 147 23 संकोच 150 3 * रिष्टे 152 21 भय के त्रास 26 सगांवहालांओ 159 19 शाकिनीओ 27 मोक्षनी सोपान पंक्तिसमान एतदूर्व ३९५या वज्राङ्कुश्य . स्फुरश्चन्द्र० जाईनां x ईशानादि चारे आसीविर्स पूवोत्तय (रे)श० मुञ्चामि हृदयमां अनुवाद वर्णोनी सकर्णानो कीर्तिवाळा योगथी उत्पन्न . संकोच (1) रि(द)टे भय सगांवहालांओनी जेम द्रोहकारक शाकिनीओ कल्याणनी परंपराने करनार