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________________ शु डि पत्रक* Barm>> पंक्ति मशुद्ध 15 गता 24 विधिपूर्वक 23 पुरुष 22 'पञ्चनमस्कृतिदीपक' लक्ष्मी 27 मुक्ति, नवीन चैवोच्चाट्टनं 25 17 मनुष्यना 10 11 11 20 प्राणायमना / 15 'ही'कार 17 सर्व कर्मोथी रहित पद्मासने बेठेल गताः विधिपूर्वक एक लाख मनुष्य 'पञ्चनमस्कृतिदीपक'नी हाथपोथीमां शान्ति, लक्ष्मी मुक्ति, कान्ति, नवीन चैवोच्चाटनं मनुष्योना प्राणायामना स्फटिकमय 'ही'कार सर्वकर्मोथी रहित, सर्व जीवोने अभय आपनार, निरञ्जन, पीडा रहित, सर्व प्रवृत्तिथी रहित, पद्मासने बेठेल जिनप्रभसूरि विक्रमना चौदमा परवादीओना चिन्तन करायेलु नीचे रेफ सिद्धशिला प्रकारो . अरिहंतनुं अणिमा : एम बे 12 18 जिनप्रभरि चौदमा 33 वादीओना 18 तेनुं 'दिव्यचिंतन' 27 नीचे रेक 26 सिद्धिशिला 10 प्रकारो 27 अरिहंतनु 22 आणिमा 3 एम वे 5 रमम्बुजम् 32 साहूणो 22 ग्रह रचना रिष्ट योगनी रंबुजम् साहुणो ग्रहोनी 28 आत्मा जिन 11 . नामोमवं 18 केवलिण्णत्तं 16 पोता 16 ब्रह्मा 17 विष्णु 18 श्वेत, पीळा तेमजश्यामवर्णवाळा 22 ब्रह्मा विष्णु 31 परमेष्ठिओने आत्माने जिन नामोद्भवं केवलिपण्णत्तं पोताने विष्णु ब्रह्मा 100 100 100 100 श्याम, पीळा तेमज श्वेतवर्णवाळा विष्णु ब्रह्मा परमेष्ठिओनो * टिप्पणी सर्वत्र हु ना स्थाने हैं समजवो.
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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