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________________ विभाग] जिनसहस्रनामस्तोत्रम् नृतिर्यक्सुराप्तस्वसामायिकाय, नमस्ते नमोऽमोधवाक्जायुकाय / नमो द्वादशप्रौढपर्षत्प्रियाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 101 // नमः स्वार्थवाहाय मुक्त्यध्वगानाम् , नमोऽवारपाराय सूक्त्यापगानाम् / विहारैर्नमः पावितोर्वीतलाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 102 // नमो द्वादशाङ्गीनदीभूधराय, नमः सप्तभङ्गीचमूदुर्धराय / नमस्ते प्रमाणोपपन्नागमाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 103 // नमो बुद्धतचाय तद्बोधकाय, नमः कर्ममुक्ताय तन्मोचकाय / नमस्तीर्णजन्माब्धये तारकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 104 // नमो लोकनाथाय लोकोत्तमाय, नमस्ते त्रिलोकप्रदीपोपमाय / नमो निर्निदानं जनेभ्यो हिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 105 / / नमः पावनेभ्योऽपि ते पावनाय, नमः सिद्धियोगैः(गे) कृतोद्भावनाय / नमो दत्तनिःशेषजीवाभयाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 106 // 10 जेमनी पासेथी मनुष्य, तिर्यंच अने देवोए स्वयोग्य सामायिक स्वीकार्यु छे एवा आपने नमस्कार थाओ। अमोघ वाणीवडे (भव्य जीवोनां हृदयने) जीतनारा आपने नमस्कार थाओ। प्रौढ बार पर्षदाओने प्रिय एवा आपने नमस्कार थाओ // 101 // . 15 मुक्तिमार्गे गमन करनाराओना सार्थवाह (मुक्तिमार्गना पथिकोना स्वार्थ-योगक्षेमने वहन करनारा) एवा आपने नमस्कार थाओ / सूक्तिरूपी नदीओना समुद्र एवा आपने नमस्कार थाओ (जेम नदीओनो . . स्वामी समुद्र छे तेम सूक्तिओना स्वामी परमात्मा छे)। विहारो वडे पृथ्वीतलने पवित्र करनार एवा आपने नमस्कार थाओ // 102 // द्वादशांगी-नदीना पर्वत-उद्गमस्थानभूत आपने नमस्कार थाओ। सप्तभंगीरूप सेनाथी दुर्धर एवा 20 आपने नमस्कार थाओ। जेमना आगमो प्रमाणोवडे उपपन्न-युक्तिसंगत छे एवा आपने नमस्कार थाओ // 103 // . स्वयं तत्त्वने जाणनारा अने बीजाओने ते जणावणारा एवा आपने नमस्कार थाओ। स्वयं कर्मोथी मक्त थयेला अने बीजा जीवोने कर्मोथी मक्त करनारा एवा आपने नमस्कार थाओ। स्वयं संसार समुद्रने तरेला अने बीजाओने तारनारा एवा आपने नमस्कार थाओ॥१०॥ लोकना नाथ अने लोकमां उत्तम एवा आपने नमस्कार थाओ। त्रणे लोकने प्रकाशवामा प्रदीप तुल्य एवा आपने नमस्कार थाओ। जीवोनुं निष्कारण (स्वभावथी ज) हित करनारा आपने नमस्कार थाओ // 105 // पवित्रोथी पण पवित्र एवा आपने नमस्कार थाओ / मोक्षना योगोवडे (योगोनी) प्रभावना करनारा - [सिद्धिना योग माटे तैयार थयेला (:)] आपने नमस्कार थाओ। सर्व जीवोने अभय आपनारा आपने 30 नमस्कार थाओ॥१०६॥ 25
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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