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________________ 274 [संसात नमस्कार स्वाध्याय नमो नाकिकोट्याऽविविक्तान्तिकाय, नमो दुन्दुभिप्रष्टभूमित्रिकाय / नमोऽङलिहायोदितेन्द्रध्वजाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 95 // नमः प्रातिहार्याष्टकालकूताय, नमो योजनव्याप्तवाक्यामृताय / नमस्ते विनालङ्कति सुन्दराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 96 // नमस्तेऽन्वहं द्विर्भवद्देशनाय, नमस्सप्ततत्त्वाश्रितोद्देशनाय / नमः प्रोक्तषड्व्व्य रूपत्रयाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 97 // नमस्ते मतोत्पत्तिसत्त्वव्ययाय, नमस्ते त्रिपद्यात्तविश्वत्रयाय / नमस्त्रासितैकान्तवादिद्विपाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 98 // नमः क्लप्ततीर्थस्थितिस्थापनाय, नमः सच्चतुःसङ्घसत्यापनाय / / नमस्ते चतुर्भेदधर्मार्पकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 99 // नमः प्रोक्तनिःश्रेयसश्रीपथाय, नमो नाशितश्रावकान्तय॑थाय। नमस्तेऽस्तु रत्नत्रयीदीपकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 10 // जेमनी सेवामां जघन्यथी एक करोड देवताओ सदा रहे छे एवा आपने नमस्कार थाओ। __ जेमनी पासे वागती दुंदुभिनो नाद त्रण गढनी अन्तर्गत भूमिमां प्रसरी रहे छे एवा आपने नमस्कार थाओ। 15 जेमनी आगल चालतो इन्द्रध्वज ऊँचे आकाशने स्पर्शे छे एवा आपने नमस्कार थाओ // 95 // उपर प्रमाणेना आठ प्रातिहार्यथी अलंकृत एवा आपने नमस्कार थाओ। जेम वचनामृत योजन सुधी प्रसरे छे एवा आपने नमस्कार थाओ। अलंकार विना पण अत्यन्त सुंदर एवा आपने नमस्कार थाओ // 96 // __ दररोज बे वखत देशना आपता एवा आपने नमस्कार थाओ। सात तत्त्वने आश्रयीने देशना 20 देनारा आपने नमस्कार थाओ। षड्य ना त्रण प्रकारना स्वरूपने कहेनारा आपने नमस्कार थाओ॥९७ // वस्तुमात्र उत्पाद, व्यय अने ध्रौव्य स्वरूप छे, एबुं जेमने अभिमत छे, एवा आपने नमस्कार थाओ। त्रिपदीवडे विश्वत्रयने ग्रहण करनार (जाणनार अने जणावनार) एवा आपने नमस्कार थाओ। एकान्तवादीरूप हस्तिओने त्रास पमाडनारा आपने नमस्कार थाओ // 98 // केवलज्ञानवडे तीर्थनी मर्यादाने जाणीने तेने स्थापनारा एवा आपने नमस्कार थाओ। चतुर्विध 25 संघनी सत्यापना (स्थापना) करनारा आपने नमस्कार थाओ। चतुर्विध धर्मने आपनारा आपने नमस्कार थाओ // 99 // मोक्षलक्ष्मीने प्राप्त करवानो मार्ग कहेनारा आपने नमस्कार थाओ। श्रावकोनी अन्तर्व्ययानो नाश करनार आपने नमस्कार थाओ, रत्नत्रयीना दीपक-प्रकाशक एवा आपने नमस्कार थाओ // 10 // 1 उत्पाद, व्यय अने प्रौव्य। 2 दान-शील-तप-भावरूप।
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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