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________________ 264 नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत नमः स्फारकौमारलीलालसाय, नमस्ते स्वतस्त्यक्तदुलालसाय। नमस्ते शुचित्वेऽपि (1) निःसाध्वसाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 35 // नमस्ते कृतान्वर्थयुक्ताभिधाय, नमस्ते स्वतःसिद्धविद्याविधाय / नमस्ते खतो लब्धशिक्षोपधाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 36 // नमोऽष्टाढ्यसाहस्रसल्लक्षणाय, नमस्ते कृतप्राणिसंरक्षणाय / नमोऽक्षीणदाक्षिण्यधीदक्षिणाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 37 // नमोऽनङ्कराकेन्दुजैत्राननाय, नमो दक्षहल्लक्षसन्दानकाय / नमस्ते कपोलान्तशान्तस्मिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 38 // नमोऽनन्तगाम्भीयर्वयाशयाय, नमः संवृतानन्तशक्त्याश्रयाय / नमो धैर्यनिस्तर्जितेन्द्राचलाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 39 // नमो यौवनेऽप्युद्गतस्थावराय, नमः प्रातिभोत्थव्यवस्थावराय / नमो विष्वगुद्यत्प्रभापीवराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 40 // कुमारावस्थानी विपुल क्रीडाओमां मंद (विरक्त) एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनो दुष्ट लालसाओए स्वयं त्याग कर्यो छे एवा आपने नमस्कार थाओ। (शरीर) पवित्र अने निर्भय (?) एवा आपने 15 नमस्कार थाओ॥३५॥ जेमनुं सार्थक अने युक्त एवं वर्द्धमानादि नाम पाडवामां आव्यु एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमने नानाविध विद्याओ स्वतः सिद्ध हती एवा आपने नमस्कार थाओ। पोतानी मेळे ज शिक्षणना उपायो मेळवनारा एवा आपने नमस्कार थाओ // 36 // उत्तम एवा एक हजार ने आठ लक्षणोवाळा आपने नमस्कार थाओ। सर्व प्राणिओना रक्षणहार 20 आपने नमस्कार थाओ। अक्षीण एवी दक्षिणता अने बुद्धिना कारणे दक्ष एवा आपने नमस्कार थाओ // 37 // .. पूर्णिमाना निर्मल चन्द्रने जीतनार मुखवाळा आपने नमस्कार थाओ। निपुण पुरुषोना हृदयना लक्ष्यने पोतामां बांधी लेनारा आपने नमस्कार थाओ। जेना कपोळमां शान्त स्मित रमी रह्यं छे एवा आपने नमस्कार थाओ॥ 38 // 25 अनन्त गांभीर्यरूप (अथवा अनंत गांभीर्यना कारणे) श्रेष्ठ आशयवाळा एवा आपने नमस्कार थाओ। संवृत एवी अनन्त शक्तिओना आश्रयरूप आपने नमस्कार थाओ। धैर्य वडे मेरुपर्वतने पण अधरित करनार [ मेरु करतां पण अधिक धैर्यवान (स्थिर)] एवा आपने नमस्कार थाओ // 39 // . यौवनावस्थामां पण अत्यंत स्थिरतावाळा (विषयोमां चंचलता रहित) आपने नमस्कार थाओ। उच्च प्रकारनी प्रतिभाथी प्राप्त थयेल श्रेष्ठ औचित्यवाळा आपने नमस्कार थाओ। देहमांथी चोतरफ प्रसरती 30 प्रभा वडे शोभता एवा अपने नमस्कार थाओ॥ 40 //
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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