________________ 263 विभाग] जिनसहस्रनामस्तोत्रम् नमोऽङ्गुष्ठपीयूषपानोच्छ्रिताय, नमस्ते वपुःसर्वनष्टामयाय / नमस्ते यथायुक्तसर्वाङ्गकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 29 // नमस्ते मलस्वेदखेदोज्झिताय, नमस्ते शुचिक्षीररुक्शोणिताय / नमस्ते मुखश्वासहीणाम्बुजाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 30 // नमस्ते मणिस्वर्णजिद्गौरभाय, नमस्ते प्रसर्पद्वपुःसौरभाय / नमोऽनीक्षिताहारनीहारकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 31 // नमस्ते सुरौधैरनुक्रीडिताय, नमस्ते शिशुक्रीडया वीडिताय / नमस्ते सुराधीश्वरैरीडिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 32 // नमो राजहंसेभगोवद्गताय, नमश्चातुरीमाधुरीसङ्गताय / नमः सर्वशास्त्राब्धिपारंगताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 33 // नमः कोमलालापपीयूषवर्ष !, नमो बाललीलाकृतज्ञातिहर्ष / नमस्ते प्रभो ! प्राज्यपुण्यप्रकर्ष !, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 34 // 10 अंगूठामा इन्द्रे संचारेला अमृतना पान वडे उछरता एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमना शरीरना सर्व रोगो नाश पाम्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ। सर्व अंगनी यथोचित रचनाथी शोभता एवा आपने नमस्कार थाओ (अहीं प्रभुनु उत्कृष्ट समचतुरस्र संस्थान सूचव्युं छे) // 29 // 15 _मल, प्रस्वेद अने खेदथी रहित शरीरवाळा आपने नमस्कार थाओ। पवित्र एवा दुग्ध समान श्वेतवर्णी रुधिरवाळा आपने नमस्कार थाओ। मुखना श्वासनी सुगंधवडे कमळने पण शरमावनारा (कमळ जेवा सुगंधी श्वासोच्छासवाळा) आपने नमस्कार थाओ॥३०॥ मणि अने सुवर्णने जीतनारी गौर (उज्ज्वल) कातिवाळा आपने नमस्कार थाओ। जेमना शरीरनी सुगंध चारे बाजु प्रसरी रही छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनो आहार-नीहार छमस्थ 20 मनुष्यो जोई शकता नथी एवा आपने नमस्कार थाओ // 31 // (29 श्लो. थी अहीं सुधी जन्मथी थनारा चार अतिशय सूचव्या छ।) बाळपणामां देवोना समूहो वडे रमाडाता एवा आपने नमस्कार थाओ। बाळपणानी क्रीडाथी लज्जा पामेला एवा आपने नमस्कार थाओ। (बाळपणामां पण) इन्द्रो वडे प्रशंसित एवा आपने नमस्कार थाओ॥३२॥ 25 राजहंस, हस्ती अने वृषभ जेवी गतिवाला आपने नमस्कार थाओ। चतुरता अने मधुरताथी युक्त एवा आपने नमस्कार थाओ। सर्व शास्त्ररूप समुद्रना पारने पामेला एवा आपने नमस्कार थाओ॥ 33 // ___ कोमळ आलापरूप अमृतने वरसावनारा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। बाळक्रीडा वडे ज्ञातिजनने हर्ष पमाडनारा हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। अतिशय पुण्यना प्रकर्षवाळा हे प्रभो ! 30 आपने नमस्कार थाओ॥३४॥