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________________ 262 [संस्कृत नमस्कार स्वाध्याय नमस्ते जनुभूषिताढ्यान्वयाय, नमो रत्नरैवृष्टिपूर्णालयाय | नमो वर्द्धमानद्विधावैभवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 23 // नमो दिक्कमारीकृतस्वोचिताय, नमस्ताभिरर्चाविधिस्वञ्चिताय / नमो ज्ञानरत्नत्रयोदञ्चिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 24 // नमो द्योतिताशेषविश्वत्रयाय, नमः सर्वलोकैकसौख्यावहाय / नमः प्रोल्लसज्जङ्गमस्थावराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 25 // नमः सुप्रसन्नीकृताशामुखाय, नमस्ते समुज्जृम्भितोर्वीसुखाय / . नमो नारकेभ्योऽपि दत्तोत्सवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 26 // नमस्तेऽद्भुतङ्कम्पितेन्द्रासनाय, नमस्ते मुदा तैः कृतोपासनाय / नमः कल्पितध्वान्तनिर्वासनाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 27 // नमस्ते सुराद्रौ सुरैः प्रापिताय, नमस्ते कृतस्नात्रपूजोत्सवाय / नमस्ते विनीताप्सरःपूजिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 28 // .. जन्म वडे वंशने शोभित अने समृद्ध करनारा आपने नमस्कार थाओ। (देवोए करेली) रत्न ने सुवर्णनी वृष्टिथी घरने पूर्ण करनारा आपने नमस्कार थाओ। बन्ने प्रकारना (द्रव्य ने भाव) वैभवथी 15 वधता एवा आपने नमस्कार थाओ // 23 // दिक्कुमारीओए जेमनु स्वोचित (प्रसूति) कर्तव्य कयु छे एवा आपने नमस्कार थाओ / तेओ वडे अर्चा विधिथी पूजित एवा आपने नमस्कार थाओ / जन्मथी ज त्रण ज्ञान वडे युक्त एवा आपने नमस्कार थाओ // 24 // जन्मकल्याणक वखते समस्त विश्वत्रयने द्योतित करनारा आपने नमस्कार थाओ / जन्मकल्याणक 20 वखते सर्व लोकने अनुपम सुखने आपनारा आपने नमस्कार थाओ। (तीर्थकरना जन्म वखते जगतना सर्व जीवो क्षणमात्र सुखी थाय छे।) ते वखते जंगम ने स्थावर सर्व वस्तुने उल्लसायमान करनार आपने नमस्कार थाओ // 25 // सर्व दिशाओना मुखने सुप्रसन्न करनारा आपने नमस्कार थाओ / पृथ्वीना सुखमां वृद्धि करनारा एवा आपने नमस्कार थाओ / नारकोने पण आनंद आपनारा आपने नमस्कार थाओ // 26 // 25 अद्भुत रीते इन्द्रना आसनने कंपावनारा आपने नमस्कार थाओ। हर्ष वडे इन्द्रोथी स्तवायेला आपने नमस्कार थाओ; (अहीं शक्रस्तव वडे इन्द्रे करेली स्तवना सूचवी छे) अज्ञानअंधकारनो नाश करनारा आपने नमस्कार थाओ // 27 // देवताओ वडे मेरु पर्वत उपर लावायेला एवा आपने नमस्कार थाओ / त्या जेमनो स्नात्रपूजानो उत्सव करवामां आव्यो एवा आपने नमस्कार थाओ। विनीत अप्सराओथी पूजित एवा आपने नमस्कार 30 थाओ // 28 //
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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