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________________ [संस्कृत नमस्कार स्वाध्याय (शार्दूलविक्रीडितवृत्तम् ) उत्तिष्ठन् निपतन् चलनपि धरापीठे लुठन् वा स्मरेजाग्रद वा प्रहसन् स्वपन्नपि वने बिभ्यभिषीदनपि / गच्छन् वर्त्मनि वेश्मनि प्रतिपदं कर्म प्रकुर्वन्नमुं. यः पञ्चप्रभुमन्त्रमेकमनिशं किं तस्य नो वाञ्छितम् // 4 // (वसन्ततिलकावृत्तम् ) सझाम-सागर-करीन्द्र-भुजङ्ग-सिंहदुर्व्याधि-वति-रिपु-बन्धनसम्भवानि / चौर-ग्रह-भ्रम-निशाचर-शाकिनीनां नश्यन्ति पञ्चपरमेष्ठिपदैर्भयानि // 5 // ___(शार्दूलविक्रीडितवृत्तम्) यो लक्षं जिनबद्धलक्ष्यहृदयः सुव्यक्तवर्णक्रमः श्रद्धावान् विजितेन्द्रियो भवहरं मन्त्र जपेच्छ्रावकः / .. पुष्पैः श्वेतसुगन्धिभिः सुविधिना लक्षप्रमाणैरमुं यः सम्पूजयते स विश्वमहितस्तीर्थाधिनाथो भवेत् // 6 // ऊठतां, पडतां, चालतां, भूमि पर आळोटतां, जागतां, हसतां, सूतां, वनमां भय पामतां, बेसतां, मार्गमां के घरमां जतां प्रत्येक डगले अने प्रत्येक काम करतां जे आ पंचपरमेष्ठिमंत्रनुं निरंतर स्मरण करे, तेना कया मनोरथनी सिद्धि न थाय ? // 4 // पंचपरमेष्ठिना पदो वडे रण-संप्राम, सागर, गजेन्द्र, सर्प, सिंह, दुष्टव्याधि, अग्नि, शत्रु अने 20 बंधनथी उत्पन्न थता भयो तथा चोर, ग्रह, भ्रम, राक्षस अने शाकिनीना भयो दूर भागी जाय छे // 5 // ... श्री जिनेश्वर भगवंतने विषे बद्धलक्ष्य छे हृदय जेनुं (अर्थात् श्री जिनेश्वर भगवंतरूप ध्येयमां एकाग्र मनवाळो), सुस्पष्ट वर्णक्रमवाळो (अर्थात् जेनो नमस्कार महामंत्रना वर्णोना उच्चारादिनो क्रम सूत्रोच्चारणना गुणोथी युक्त छे एवो), श्रद्धावान अने जितेंद्रिय एवो जे श्रावक भवनाशक एवा आ मंत्रनो एक लाख श्वेत सुगंधी पुष्पोवडे सुंदर विधिपूर्वक जाप करे अने पूजा करे, ते विश्वपूज्य तीर्थकर थाय / 25 (श्रीपार्श्वनाथ अथवा श्री शांतिनाथ भगवंतनी प्रतिमानी एक लाख श्वेत सुगंधी पुष्पोवडे पूजा करे; एक एक पुष्प प्रभु पर चढावती वखते एक एक नवकारनो जाप करे, एवं विधान छ / आ विधान- वर्णन प्रस्तुत ग्रंथना त्रीजा भागमां आवशे) // 6 // 1. प्रकुर्वन्निमान् / 2. लक्षहृदय / 3. स्वन्यक्तवर्णक्रमम् / 4. श्वेतैः पुष्प-सुगन्धिमिः /
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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