________________ // श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः // . नमस्कार स्वाध्याय (संस्कृत विभाग) [46-1] नमस्कारमन्त्रस्तोत्रम् (शार्दूलविक्रीडितवृत्तम् ) विश्लिष्यन् घनकर्मराशिमशनिः संसारभूमिभृतः स्वनिर्वाणपुरप्रवेशगमने निष्प्रत्यवायः सताम् / मोहान्धावटसङ्कटे निपततां हस्तावलम्बोऽर्हता, पायाद् वैः सचराचरस्य जगतः सञ्जीवनं मन्त्रराट् // 1 // (वसन्ततिलकावृत्तम् ) एकत्र पञ्चगुरुमन्त्रपदाक्षराणि, विश्वत्रयं पुनरनन्तगुणं परत्र / यो धारयेत् किल तुलानुगतं तथापि, वन्दे महागुरुवरं परमेष्ठिमन्त्रम् // 2 // ये केचनापि सुषमाधरका अनन्ता, उत्सर्पिणीप्रभृतयः प्रययुर्विवर्ताः। तेष्वप्ययं परतरःप्रथितप्रभावो, लब्ध्वाऽमुमेव हि गता शिवमत्र लोकाः॥३॥ 15 अनुवाद घनघाति कर्मना समूहने विखेरी नाखनार, भवरूपी पर्वतने (मेदवा) माटे वज्र समान, सत्पुरुषोने स्वर्ग अने मोक्षपुरीमा प्रवेश करवाना मार्गमां रहेला विघ्नोने दूर करनार, मोहरूप अंधकारमय कूवाना संकटमां पडेलाओने माटे हाथना टेकारूप अने सचराचर जगतने माटे संजीवनरूप अर्हतोनो मंत्रराज (नमस्कार महामंत्र) तमारुं कल्याण करो // 1 // 20 एक पल्लामां 'पंचगुरुमंत्र' (नमस्कार मंत्र)ना पदना अक्षरो अने बीजा पल्लामां अनंतगुण करेला एवा त्रणे लोक, एम बनेने जो त्राजवामां धारण करवामां आवे, तो पण जेनो भार घणो वधारे थाय एवा परमेष्ठिमंत्रने हुं नमस्कार करुं छु // 2 // . जे कोई पण सुषमादि अनन्त आराओ अने उत्सर्पिणी (अवसर्पिणी) वगेरे कालचक्रो व्यतीत थया, ते बधामां पण आ मंत्रराज सर्वोत्तम अने विस्तृत प्रख्यात प्रभाववाळो हतो। आ मंत्रने प्राप्त करीने 25 स्व.भव्य लोको मोक्षमां गया छे // 3 // 1. पायानः। 2. धारयेदिव / 3. महागुरुतरं / - आ पहेलां प्रकट थयेल “नमस्कार स्वाध्याय-प्राकृत विभाग"मां कुल 45 स्तोत्रो आपवामां आन्यां हतां अने सळंग क्रम जाळवी राखवानी दृष्टिए तेना अनुसंधानमा आ "नमस्कार स्वाध्याय-संस्कृत विभाग"मां नं. 46 थी शरुआत करवामां आवी छ। .. 30