________________ 236 x नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत यदत्र स्खलितं, किश्चिच्छामस्थ्यादर्थशब्दयोः / तन्मे भक्तिप्रधानस्य क्षमतां श्रुतदेवता // 254 // वस्तुयाथात्म्यविज्ञानश्रद्धानध्यानसम्पदः / भवन्तु भव्यसंवानां, स्वस्वरूपोपलब्धये // 255 // जिनेन्द्राः सद्धथानज्वलनहुतघातिप्रकृतयः, प्रसिद्धाः सिद्धाश्च प्रहततमसः सिद्धिनिलया। सदाचार्या वर्याः सकलसदुपाध्यायमुनयः, पुनन्तु स्वान्तं नखिजगदधिकाः पञ्च गुरवः // 258 // देहज्योतिषि यस्य मजति जगद्दग्धाम्बुराशाविव, ज्ञानज्योतिषि च स्फुरत्यतितरां अभूर्भुवः स्वस्त्रयी। शब्दज्योतिषि यस्य दर्पण इव स्वार्थाश्वकासत्यमी, स श्रीमानमरार्चितो जिनपति-ज्योतिस्त्रयायाऽस्तु नः // 259 // छअस्थताना कारणे अहीं शब्दोमां के अर्थमां जे काई स्खलन थयुं होय तेनी भक्तिप्रधान . 15 एवा मने श्रुतदेवता क्षमा आपे // 25 // भव्य जीवोने स्वस्वरूपनी प्राप्ति माटे यथार्थ विज्ञान, यथार्थ श्रद्धान अने यथार्थ ध्यानरूप संपत्तिओ प्राप्त थाओ // 255 // जेओए शुक्लध्यानरूप दावानलमां चार घातिकर्मनी प्रकृतिओने होमी दीघी छे एवा अरिहंत 20 भगवंतो; जेओए अज्ञानांधकारनो नाश कर्यो छे तथा जेम निवासस्थान सिद्धिगति छे, एवा प्रसिद्ध सिद्ध भगवंतो; श्रेष्ठ एवा आचार्य भगवंतो; पूज्य एवा उपाध्याय भगवंतो अने साधु भगवंतो रूप पांच गुरुओ त्रणे लोकमां श्रेष्ठ छे / तेओ सौना हृदयने पवित्र करो // 258 // जेमनी 'देहज्योतिमां' जगत जाणे क्षीरसमुद्रमा मजन करतुं होय एवं देखाय छे, जेमनी 'ज्ञानज्योतिमां' पृथ्वी, पाताल अने स्वर्गरूप त्रयी अत्यंत स्पष्ट रीते प्रकाशे छे अने जेमनी 'शब्दज्योतिमां' 25 (पांत्रीश गुणयुक्त वाणीमां) आ सर्व अर्थो दर्पणमां चमके तेम चळके छे ते अंतरंग-अनंत ज्ञानादि अने बहिरंगसमवसरणादिलक्ष्मीथी युक्त अने देवेन्द्रोथी पण पूजाएला एवा श्रीजिनपति अमारा ज्योतित्रय-(देह-ज्ञान-शब्द-ज्योति) माटे थाओ॥२५९॥ परिचय श्रीमान् नागसेनाचार्यप्रणीत 'तत्त्वानुशासन' ए ध्यानविषयनो अद्भुत ग्रंथ छ। प्रत्येक ध्यानना अभ्यासी माटे तेनु अवलोकन अत्यंत आवश्यक छ / अमारा तरफथी (जैनसाहित्यविकास मंडळ तरफथी) 30 ए ग्रंथ अनुवाद साथे पूर्वे प्रगट थएल छ। ए ग्रंथमांथी अमे अहीं प्रस्तुत ग्रंथने योग्य 'संदर्भ' तारव्यो छे / आ बधुं वर्णन सामान्यतः व्यवहार-ध्यान- छ। ए प्रथमां निश्चय-आत्मालंबन ध्याननुं पण सुंदर वर्णन छ / ग्रंथकारनी अद्भुत प्रतिभाशक्तिने ग्रंथ स्वयं कही आपे छ। ए ग्रंथनी शैली उत्तम छ / x