________________ 198 [संस्कृत नमस्कार स्वाध्याय 'ॐ नमः सिद्ध 'मित्याख्या, यथा कार्यस्य साध(धि)का / तथा सादृश्यतो ज्ञेयं, मन्त्रं पारमगौरकम् // 40 // 'ॐ नमोऽईय' इत्याख्या, प्रथमा जायते पदी। 'ॐ नमः सिद्धेभ्य' इति, जायते द्वितीया पदी // 41 // 'ॐ नमो(म) आचार्येभ्य'श्च, जायते तृतीया पदी। 'ॐ नमः(म) उपाध्यायेम्यो', जायते तुर्या सत्पदी // 42 // 'ॐ नमः सर्वसाधुम्यो', जायते पञ्चमी पदी। [इति संस्कृतमन्त्रेण, सर्वसिद्धिर्भविष्यति // 43 // ] 'ॐ नमः सिद्धम् ' ए नामनो मंत्र जेम बधा कार्यो सिद्ध करे छे तेम परमगुरुओ (पंचपरमेष्ठि) 10 संबंधि आ मंत्र पण सर्व कार्योनी सिद्धि करे छे // 40 // 'ॐ नमो अर्हद्भ्यः ' ए नामनी प्रथमपदी (पद :) छे, तेम 'ॐ नमः सिद्धेभ्यः' ए द्वितीय पदी छे, 'ॐ नमो आचार्येभ्यः' ए त्रीजी पदी छे, 'ॐ नम उपाध्यायेभ्यः' ए चोथी सत्पदी छे, 'ॐ नमः सर्वसाधुभ्यः' ए पांचमी पदी छे। आ प्रमाणे (आ) संस्कृत मंत्रथी सर्व कार्योनी सिद्धि यशे // 41-42-43 // 15 परिचय दिगंबर सम्प्रदायना, भट्टारक श्रीसिंहनंदिए रचेली 'पंचनमस्कृतिदीपक' नामनी कृति अमने कलकत्ता, रोयल एशियाटिक सोसायटीना संग्रहमांथी मळी आवी छे। नमस्कारमंत्र विषयक आ ग्रंथमां पांच अधिकारो आपेला छे–१ साधनअधिकार, 2 ध्यानअधिकार, 3 कर्मअधिकार, 4 स्तवअधिकार, अने 5 फलअधिकार / प्रत्येक अधिकारमा मन्त्रविषयक अनेक हकीकतो गद्य अने पद्यमां आपेली छे। 20 आ ग्रंथना मंगलाचरणना 43 श्लोको नमस्कार विशे सारी माहिती आपे छे अने कांईक व्यापक दृष्टिए नमस्कार विशे विचार दर्शावे छे / ते अहीं अनुवाद साथे प्रगट करेल छ। श्लोक 1-7 मंगलाचरण अने प्रन्यनुं अभिधेय जणावे छे। श्लोक 8-13 अनेक यंत्रोनां नामो नोंधे छे / श्लो० 14-17 यंत्रनुं माहात्म्य जणावे छे / श्लो० 18-20 मंत्रनो महिमा दर्शावे छे। श्लो० 21-34 मंत्रनां साधनोनो विचार आप्यो छे अने श्लो० 35-43 नमस्कार मंत्रनो महिमा, न्यास, 25 संस्कृत भाषामय मंत्र विशे प्रश्न अने समाधान तेम ज अरिहंतना अर्थ विशे माहिती आपे छ। आ 43 श्लोकोमा जेवी माहिती आपी छे तेवी ज माहितीथी भरेलो समप्र प्रन्य छ। लगभग अढारमा सैकामां थयेला भट्टारक श्रीसिंहनंदिए आ रचना करी छे, अंतनी प्रशस्तिमां तेमणे पोतानी गुरुपरंपरा वगेरे माहिती आपी छे /