________________ अरिहंत अरिहंत अरिहंत आरिहंत अरिहंत अरिहंत अरिहंत अरिहंत पू. मुनिश्री तत्त्वानंदविजयजी म. हस्तलिखित पाठ, 5555555 सिरि पंचमंगलमहा सुयकरवा- सुत नमो अरिहंताण नमो सिहाण नमो आधरियाण नमो बसाया नमो लोर सत्यसाहणं एसो पंचनामुक्कारो सवपावपणासगो / मंगलाण में सव्वेसि पढम हवर नंगल // पू. पं. श्री भानुविजयजी गणिवर्य हस्तलिखित पाठ.