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________________ [संस्कृत नमस्कार स्वाध्याय ऋषभो मस्तकं रक्षेदजितोऽपि विलोचने / सम्भवः कर्णयुगलेऽभिनन्दनस्तु नासिके // 12 // औष्ठौ श्रीसुमती रक्षेद् , दन्तान् पयप्रभो विभुः। जिह्वां सुपार्श्वदेवोऽयं, तालुं चन्द्रप्रभामिधः // 13 // कण्ठं श्रीसुविधी रक्षेद्, हृदयं श्रीसुशीतलः / श्रेयांसो बाहुयुगलं, वासुपूज्यः करद्वयम् // 14 // अङ्गलीविमलो रक्षेदनन्तोऽसौ नखानपि / श्रीधर्मोऽप्युदैरास्थीनि, श्रीशान्ति भिमण्डलम् // 15 // श्रीकुन्थुर्गुह्यकं रक्षेदरो लोमकटीतटम् / मल्लिरूरुपृष्टमंसं, जो च मुनिसुव्रतः // 16 // पादाङ्गुलीनमी रक्षेच्छ्रीनेमिश्चरणद्वयम् / श्रीपार्श्वनाथः सर्वाङ्ग, वर्धमानश्चिदात्मकम् // 17 // पृथिवी-जल-तेजस्क-वाय्वाकाशमयं जगत् / . . रक्षेदशेष-पापेभ्यो, वीतरागो निरञ्जनः // 18 // श्रीऋषभदेव भगवान मस्तकनी रक्षा करो, श्री अजितनाथ भगवान आंखोनी रक्षा करो, श्रीसंभवनाथ भगवान् बन्ने कानोनी रक्षा करो, श्री अभिनंदन स्वामी बन्ने नासिकानी रक्षा करो, श्रीसुमतिनाथ भगवान बन्ने ओष्ठनी रक्षा करो, श्री पद्मप्रभ स्वामी दांतोनी रक्षा करो, तथा श्रीसुपार्श्वनाथ भगवान जीभनी रक्षा करो, श्री चन्द्रप्रभस्वामी तालुनी रक्षा करो, श्री सुविधिनाथ भगवान कंठनी रक्षा करो, श्री शीतलनाथ भगवान हृदयनी रक्षा करो, श्री श्रेयांसनाथ भगवान बन्ने बाहुनी रक्षा करो, श्री वासुपूज्य 20 स्वामी बन्ने हाथनी रक्षा करो. श्री विमलनाथ भगवान आंगळीओनी रक्षा करो, श्री अनन्तनाथ भगवान नखोनी रक्षा करो, श्री धर्मनाथ भगवान उदर अने अस्थिओनी रक्षा करो, श्री शान्तिनाथ भगवान नाभिमण्डलनी रक्षा करो, श्री कुंथुनाथ भगवान गुह्य-प्रदेशनी रक्षा करो, श्री अरनाथ भगवान रोमराजी अने केडनी रक्षा करो, श्री मल्लिनाथ भगवान छाती, पीठ अने खभानी रक्षा करो, श्रीमुनिसुव्रतस्वामी बन्ने जंघाओनी रक्षा करो, श्रीनमिनाथ भगवान पगनी आंगळीओनी रक्षा, करो, श्री नेमिनाथ भगवान बन्ने 25 चरणनी रक्षा करो, श्रीपार्श्वनाथ भगवान सर्वांगनी-शरीरना सर्व अवयवोनी रक्षा करो अने श्री महावीरस्वामी ज्ञान-स्वरूप आत्मानी रक्षा करो // 12-13-14-15-16-17 // श्री अरिहंत परमात्मा पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु अने आकाशात्मक जगतनुं वीतराग अने निरंजनरूपे सर्व पापथी रक्षण करो // 18 // 3. deg दरस्थाने / 4. पृष्ठिवंशं, पिण्डिकां / 5. पादगुल्फें न /
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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