________________ विमाग] 181 . . 5 पश्चनमस्कृतिस्तुतिः स्मृत्वा पञ्चनमस्कार, प्रविष्टायास्तमोगृहम् / घटन्यस्तो 'महासत्याः', पन्नगः पुष्पमालवत् // 25 // नमस्कारेण सम्बोध्य, मातुलिङ्गवनान्तरम् / प्राणत्राणं स्वपरयोwधत्त 'श्राद्धपुङ्गवः' // 26 // यक्षतां 'हुण्डिकः' प्रापत् , सैंकुलं 'चण्डपिङ्गलः'। इतस्तादृग्गुणस्फाति, 'सुदर्शनः सुदर्शने // 27 // एष माता पिता स्वामी, गुरुनेत्रं भिषक् सखा / प्राणस्वाँणं मतिर्दीपः, शान्तिः पुष्टिमहन्महः // 28 // निधयः सन्निधौ कामधेनुरप्यनुगामिका / भूभृतो भृतकास्तस्य, यस्य नैष हृदा हिरुक् // 29 // नास्येयत्ता प्रभावाणां, क्रमवर्तितया गिरा। मितायुष्ट्वाच सर्वोऽपि, न्यक्षेण भणितुं क्षमः // 30 // सर्वाऽवस्थोचितं सर्वश्रुतसारं सनातनम् / परमेष्ठिमहामन्त्रं, भक्तितन्त्रमुपास्महे // 31 // पंच-नमस्कारमंत्रनुं स्मरण करीने अंधारा घरमां गयेली (श्रीमती नामनी) महासतीने घडामां 15 रहेलो सर्प फूलनी माळा बनी गयो // 25 // (जिनदास नामना) उत्तम श्रावके बीजोराना वनमा व्यन्तरदेवने नमस्कारमंत्रवडे प्रतिबोध करीने पोताना अने परना प्राणोनी रक्षा करी // 26 // नमस्कार-मंत्रना प्रभावथी इंडिक नामनो चोर महर्धिक यक्षपणाने पाम्यो, चण्डपिंगल नामनो चोर उत्तमकुलने पाम्यो अने सुदर्शन नामना शेठ जिनमतने विषे उत्तम गुणोनी वृद्धिने पाम्या // 27 // 20 आ नमस्कार-मंत्र माता, पिता, स्वामी, गुरु, नेत्र, वैद्य, मित्र, प्राण, रक्षण, बुद्धि, दीपक, शान्ति, पुष्टि अने महाज्योति छे // 28 // - जेना हृदयथी आ (नमस्कार-मंत्र) दूर नथी, तेनी पासे (नव) निधिओ रहे छे, कामधेनु पण तेनी अनुगामिनी बने छे अने राजाओ तेना नोकर थईने रहे छे // 29 // . आ नमस्कारना प्रभावो आटला ज छे एवं नथी। वाणी तो क्रमवर्ती छे अने आयुष्य पण 25 परिमित छे, तेथी आनो प्रभाव विस्तारथी कहेवा माटे कोई पण समर्थ नथी // 30 // . बधी अवस्थाने योग्य, बधा शास्त्रोनां सारभूत, सनातन-शाश्वत अने भक्तिनां तंत्ररूप परमेष्टि महामंत्रनी अमे उपासना करीए छीए // 31 // 31. पुष्पमाल्यभूत् / 32. सत्कुलं / 33. पृथक J प्रतौ पाठान्तरम् / 34. णं गतिर्दीपः / 35. गामुका J /