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________________ विभाग] नमस्कारमाहात्म्यम् मनसा कर्मणा वाचा, चित्रालिखित-सैन्यवत् / मुनीनां निर्विकाराणां, बहुत्वेऽप्यरतिः कुतः 1 // 18 // निर्जीवेष्विव चैतन्यं, साहसं कातरेष्विव / बहुष्वपि मुनीन्द्रेषु, कलहो न मनागपि // 19 // पञ्चषैरपि यो ग्लानि, मुग्धधीर्गणयिष्यति / एकत्राऽनन्तसिद्धेभ्यः, स कथं स्पृहयिष्यति ? // 20 // रागाद्यपाय-विषमे, सन्मार्गे चरतां सताम् / रत्नत्रयजुषामैक्यं, कुशलाय न जायते // 21 // नैकस्य सुकृतोल्लासो, नैकस्यार्थोऽपि तादृशः / नैकस्य कामसम्प्राप्तिर्नेको मोक्षाय कल्पते // 22 // श्लेष्मणे शर्करादानं, सज्वरे स्निग्ध-भोजनम् / एकाकित्वमगीतार्थे, यतावश्चति नौचितीम् // 23 // . एकचौरायते प्रायः, शङ्कयते धृतवद् द्वयम् / त्रयो रक्षन्ति विश्वास, वृन्दं नरवरायते // 24 // चित्रमा चित्रेला सैन्यनी जेम मन, वचन अने काया वडे विकार विनाना मुनिओ घणा होय तो15 पण तेमने अरति क्याथी होय ? // 18 // निर्जीव पदार्थोमां जेम चैतन्य न होय, कायरोमां जेम साहस न होय, तेम मुनिवरो घणा होय तो पण तेओमां अल्प पण कलह होतो नथी॥ 19 // . जे मूढबुद्धि पांच छ साधुओनी साथे रहेवामां पण ग्लानि (खेद) पामे छे, तें एक ज स्थानमा रहेला अनंत सिद्धोनी सा रहेवानी स्पृहा शी रीते करी शके ? // 20 // - 20 ___रत्नत्रय धारण करनार मुनिओने रागादि शत्रुओना अपायोथी विषम एवा सन्मार्गमां एकला चालवू ए कल्याणने माटे यतुं नथी (विषम मार्गमा एकाकी जतां रत्नो लुटाई जवानो संभव छे) // 21 // एकलाने धर्ममां उल्लास थतो नथी, एकलाने अर्थ पण तेवो प्राप्त थतो नथी, एकलाने कामनी संप्राप्ति थती नथी अने एकलो मोक्ष-मार्गनी आराधना माटे समर्थ बनतो नथी (एकलाथी चार प्रकारना पुरुषार्थोनी साधना दुःशक्य छे) // 22 // 25 ___जेम कफना रोगमा साकर आपवी अने तावमां स्निग्ध भोजन आपq उचित नथी, तेम अगीतार्थ साधुमां एकाकिता औचित्यने पामती नथी // 23 // ___ एकलाने विषे प्रायः चोरनी कल्पना थाय छे, बे माणस साथे होय तो तेमना उपर 'ठग'नी शंका कराय छे, त्रण माणस साथे होय तो ते विश्वासन पात्र बने छे अने घणानो समुदाय होय तो ते राजानी जेम शोमे छे // 24 // 30
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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