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________________ विभाग] 143 नमस्कारमाहात्म्यम् कटुकोऽप्येष संसारो, जन्म-संस्थिति-दानतः। मान्यो मे यन्मया लेभे, जिनाज्ञाऽस्यैव संश्रयात् // 6 // भवतु नमोऽहेत्-सिद्धाचार्योपाध्याय-सर्वसाधुभ्यः। श्रीजिनशासन-मनुज-क्षेत्रान्तःपञ्चमेरुभ्यः // 7 // ये" नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणमित्यथ / नमो आयरियाणं, चो-वज्झायाणं नमोऽग्रगम् // 8 // नमो लोए सव्व-साहूर्ण "मेवं पद-पञ्चकम् / स्मरन्ति भावतो भव्याः, कुतस्तेषां भवभ्रमः 1 // 9 // वर्णाः सन्तु श्रिये पश्च-परमेष्ठि-नमस्कृतेः। पञ्चत्रिंशजिनवचोऽतिशया इव रूपिणः // 10 // . तेषामनाद्यनन्तानां, श्लोकैस्त्रैलोक्य-पावनैः / वितनोत्यात्मनः शुद्धि, सिद्धसेन-सरस्वती // 11 // नरनाथा वशे तेषां, नतास्तेभ्यः सुरेश्वराः। न ते बिभ्यति नागेभ्यो, येऽर्हन्तं शरणं श्रिताः // 12 // 10 जन्म अने मरण आपवावाळो होवाथी कडवो एवो पण आ संसार मारे मन कडवो नथी पण 15 माननीय छे, कारण के ए संसारना आश्रयथी ज मने जैन-शासननी प्राप्ति थई छे, अर्थात् जे संसारमा जैनशासननी प्राप्ति न थई होय ते ज कडवो छे पण बीजो नहि // 6 // ... श्री जैन-शासनरूपी मनुष्यक्षेत्रने विषे पांच मेरु पर्वत समान एवा अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय अने सर्व साधु भगवंतोने नमस्कार थाओ॥७॥ जे भव्य जीवो भावपूर्वक “नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो 20 लोए सव्वसाहूणं" ए पांच पदनुं स्मरण करे छे तेमने भवभ्रमण क्याथी होय ? अर्थात् न ज होय // 8-9 // श्री तीर्थंकर भगवंतनी वाणीना पांत्रीश मूर्तिमान अतिशयो ज जाणे न होय, एवा आ पंचपरमेष्ठि नमस्कारना पांत्रीश अक्षरो तमारा कल्याण माटे थाओ॥१०॥ ___ अनादि-अनंत एवा ते वर्णो त्रणे लोकने पवित्र करनारा श्लोको द्वारा (स्तुति करवा वडे) श्री सिद्धसेननी (कर्तानी) वाणी पोताना आत्मानी शुद्धि करे छे // 11 // 25 नरनाथो*—राजाओ पण तेओने वश थाय छे, देवेन्द्रो पण तेओने प्रणाम करे छे अने सर्पो (नागकुमारो)यी पण तेओ भय पामता नथी के जेओ श्री अरिहंत परमात्मानुं शरण भावपूर्वक स्वीकारे छ / // 12 // 1. हूणमित्येवं क०। * अहींथी शरु थता फकराओनी शरूआतमां अनुक्रमे 'नमो अरिहंताणं' ए अक्षरो आवे, ए दृष्टिए 30 विशिष्ट प्रकारे अनुवाद करेल छ /
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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