________________ विभाग] 135 लघुनमस्कारचक्रस्तोत्रम् 9. ॐ यू गौर्यै लँ नमः। 10. ॐ Rs गान्धाथै लँ नमः। 11. ॐ लँ सर्वास्त्रमहाज्वालायै एँ नमः / 12. ॐ दूं मानव्य ऐ नमः / 13. ॐ शुं वैरोळ्यायै ओ नमः / 14. ॐ यूं अच्छुप्तायै औ नमः / 15. ॐ तूं मानस्यै अँ नमः / 16. ॐ हूँ महामानस्यै नमः // ___इति मन्त्रबीजपूर्वा विद्यादेव्यो दलेषु स्युः // देवीषोडशपत्राने परमेष्ठिपदाक्षराः। षोडशोचं स्फुरच्चद्रविन्दवो ज्योतिरञ्चिता [3] // 84 // "अरिहंत-सिद्ध-आयरिय-उवज्झाय-साहुवन्नियं बिंदु / जोयणसयप्पमाणं जालासयसहस्सदिप्पंतं // 85 // सोलससुयअक्खरेहिं इकिकं अक्खरं जगुज्जोयं / भवसयसहस्समहणो जम्मि ठिओ पंचनवकारो" // 86 // ए प्रकारे मंत्रबीज साथे विद्यादेवीओ दलोमां होवी जोईए // सोळ देवीओना पत्रोनी आगळ (ऊपर) ज्योतिर्मय, स्फुरायमान कला अने बिंदुओवाळा परमेष्ठिपदना अक्षरो लखवा // 84 // ते आ प्रकारे"अरिहंत-सिद्ध-आयरिय-उवज्झाय-साहुवन्नियं बिंदु। 15 जोयणसयप्पमाणं जालासयसहस्सदिप्पंतं // सोलससुयअक्खरेहिं इक्विकं अक्खरं जगुज्जोयं / भवसयसहस्समहणो जम्मि ठिओ पंचनवकारो॥" 'अरिहंतसिद्धआयरियउवज्झायसाहु' ए सोळ अक्षरोमांना प्रत्येक पर सेंकडो योजन प्रमाण अने लाखो ज्वालाओथी प्रदीप्त एवो बिंदु छे, एम चिंतवतुं / आ सोळ श्रुताक्षरोमांनो प्रत्येक अक्षर 20 जगतमां उद्योत करनारो छ। कारण के एमां लाखो भवोनो नाशक पंचनमस्कार रहेलो छ / (अरि हँ तँ सि आँय रि य उँव ज्झा य साँ हुँ) // 85-86 // 1. (9) अझ प्रत्योः ॐ नमो गौरी क्षो वँ फट् स्वाहा / (10) अझ प्रत्योः ॐ नमो गान्धारी क्षाँ फट् स्वाहा / (11) अंझ प्रत्योः ॐ नमो सर्वास्त्रमहाज्वाले हँ फट् स्वाहा / (12) अझ प्रत्योः ॐ नमो मानवी स्युं फट् स्वाहा। (13) अ प्रतौ ॐ नमो वैरोट्या वाँ फट् स्वाहा / (13) झ प्रतौ ॐ नमो वैराट्या वाँ फट् स्वाहा। 25 (14) अझ प्रत्योः ॐ नमो अच्छुत्ते हुँ दूं फट् स्वाहा / (15) अ प्रतौ ॐ नमो मानसी यूँ ही फट् स्वाहा / (15) झ प्रतौ ॐ नमो मानसी हूं ही फट् स्वाहा / (16) अझ प्रत्योः ॐ नमो महामानसी हुलु हुँ फट् स्वाहा। 2.deg रेसु इझ।