SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विभाग] 117 परमेष्ठिविद्यायन्त्रकल्पः यद्वा चन्द्रसुधास्नातः क्षीराब्धौ योजनप्रभ(म)म / पुण्डरीक समारूढो द्रष्टुं तानहदादिमा(का)न् // 32 // .. पाएहिं रक्खवालो कणयमयंको हुयासणो. जाणुं। उर-नाहि-हिययपही दो हत्था पास-मुह-सीसं // 33 // धणवालो जयपालो अच्छुत्ता भयवई य वहरुट्टा। देवो हरिणगमेसी वजधरो रक्खए सव्वं // 34 // “ॐ श्री द्राँ णा आँ हौ तु अ सि आ उ सा क्षिप ॐ स्वाहा // " विहिताष्टाङ्गदिग्रक्षश्चन्द्रादिवर्णभानिमान् / विद्याक्षरान् स्मरन् शान्तिप्रमुखं तनुतेऽचिरात् // 35 // सम्यग्दृशा महाब्रह्मचारिणा गुरुवक्त्रतः। , गृहीता पठिता विद्या सर्वकर्मकरी मता // 36 // व्याख्यानादौ विवाद वा विहारे जनरञ्जने / सप्तकृत्वः स्मृता विद्या तत्तत्कार्यप्रसाधिका // 37 // 15 अथवा ते अरिहंत वगेरेने जोवा माटे (9) चन्द्र-सुधाथी स्नान करेलो हुँ क्षीरसमुद्रमा योजन प्रमाणवाळा कमळ ऊपर आरूढ थयो छु, एम चिंतवq // 32 // (दिग्रक्षा-) पगंथी लईने जानु सुधीनी रक्षा करनार कनकमृगाङ्क हुताशन छे (!) तेम छातीनो धनपाल, नाभिनो. जयपाल, हृदयपटनी रक्षापालिका अच्छुप्तादेवी, बे हाथनी भगवती, बे पडखांनी वैरोव्या देवी, मुखनो हरिणगमेषी देव अने मस्तकनो रक्षपाल इन्द्र छे ()-ए रीते साधक सर्व अंगोनी .. रक्षा करे // 33-34 // "ॐ श्री हाँ णाँ आँ हौ तु असि आ उ सा क्षिप ॐ स्वाहा ॥"--आ प्रकारे मंत्रोच्चार करवो // आ रीते आठे अंगोनी जेणे दिग्रक्षा करी छे एवो अने चन्द्र वगेरे जेवा उज्ज्वळ वर्णोवाळा आ विद्याक्षरोनुं स्मरण करतो एवो साधक जलदीथी शान्तिकृत्यो करे छे // 35 // सम्यग्दृष्टि अने महाब्रह्मचारी पुरुष वडे गुरुमुखथी ग्रहण करायेली [आ] विद्यानो पाठ 'सर्वकर्मकर'-बधां कार्यने करनारो (वशीकरण आदि षट्कर्मो अगर सघळां कृत्यो करनारो) छे, एम 25 कहेवाय छे // 36 // व्याख्यान वगेरेमां, विवादमां, विहारमां, जनताने रंजन करवामां आ विद्यार्नु सात वखत स्मरण करवामां आवे तो ए ते ते कार्यने सफळ करे छे / / 37 // 19 एतेषां वर्णानां कला-बिन्दुयुक्तः पाठः झ प्रतौ, केवलमनुस्वारयुतो पाठस्त अ प्रतौ। 20 देन्यवहा० म।
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy