________________ 110 नमस्कार स्वाध्याय [संसात आ 'मंत्रराजरहस्य' ग्रंथमा अर्ह, ही, ॐ वगेरे मंत्रबीजो ऊपर व्यापकदृष्टिए विवेचन करेलु छे अने तेनुं रहस्य तेमज उपासना संबंधी हकीकतो दर्शावी छ। आ विषय नमस्कार विषयने लगतो होवाथी तेटलो संदर्भ तारवी चारे प्रतिओथी शुद्ध करी अनुवाद साथे अहीं आपीए छीए। ' श्रीसिंहतिलकसरिए अनेक ग्रंथोनी रचना करेली छ। प्रत्येक ग्रंथमा तेमणे पोताना गुरु 5 श्रीविबुधचंद्रसूरिनो मानभर्यो उल्लेख कयों छे, केटलेक स्थळे तो पोताना प्रगुरु श्रीयशोदेवसूरिन पण स्मरण कयुं छे। तेमणे पोतानी घणीखरी कृतिओने अंते सालाददेवतानी कृपानो उल्लेख कर्यो छे। BASNN