________________ विभाग] 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित 'गतसंदर्भः / शीलव्रत-सनाथेभ्यः, साधुभ्यश्च नमो नमः। भव-लक्ष-सन्निबद्धं, पापं निर्णाशयन्ति ये // 6 // जेओ लाखो भवोनी अंदर बांधेला पापनो समूल नाश करनारा छे अने शील तथा व्रतथी युक्त छे, एवा 'साधुओ' ने वारंवार नमस्कार हो // 6 // 5 परिचय श्रीहेमचन्द्राचार्य महाराजा कुमारपाळनी विनतिथी 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित' नामनो बृहत्काय ग्रंथ संस्कृत भाषामों पद्यमां रच्यो छे। तेमां पंचपरमेष्ठी विशे छ श्लोको स्तोत्ररूपे आपेला छे तेने अहीं अनुवाद साथे प्रकट कर्या छ / AMA .