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________________ पदस्थ अने/ली. नं.२४ रूपस्थ / श्लोक पुष्पो नं. लाक न. 13-18 पूर्वक) 8000 श्लोक नं.२९ नमस्कार स्वाध्याय [संस्कृत अष्टाचाम्लतपापूर्व, जिनानभ्यर्च्य सिद्धये / अष्टजातीसहस्रेस्तु, जापो होमो दशांशतः // 29 // अनुवाद :-[आनी (हीकारनी)] सिद्धिने माटे आठ आयंबिलनुं तप करवापूर्वक आठ हजार जाईना पुष्पो वडे जिनेश्वरनी पूजा करवी ने आठ हजारनो जाप करवो। दशांश होम करवो। 5 अर्थात् आठसो वखत होम करवो // 29 // 76. अष्टाचाम्ल...दशांशतः-जाप, तप, अर्चा, करण अने अन्तर्याग साधनाना क्रमनी तालिका नीचे प्रमाणे थई शके:१. मंत्र 2. न्यास 3. ध्यान / 4. साधन 5. जाप 6. तप 7. अर्चा | ८.अंतयांग मूलमंत्र न्यास - मुद्राओ पिण्डस्थ, संख्या आठ जिनपूजा श्लोक नं.६ श्लोक आचाम्ल (लात्रपूजा / कषायजाईना नं.१० (आयंबिल) करीने) चतुष्टयनो (आसन श्लोक .. श्लोक | श्लोक | होम नं. 29 / नं. 29 नं. 29 / (आसन अहीं अध्याहार छे)। आमा सकलीकरणनो समावेश थाय छ / 1. मंत्र—आसनपूर्वक मूलमंत्रनी श्लोक नं. 6 मां दर्शाव्या प्रमाणे साधना करवानी छे। .. 2. न्यास-रक्षा माटे सकलीकरण श्लोक नं. 10 मां दर्शाव्या प्रमाणे करवानां छे। 3. ध्यान-श्लोक नं. 13 थी 18 मां दर्शाव्या प्रमाणे एक पछी एक ध्यान करवानुं छे / ___ आ विशे आम्नाय गुरु पासेथी जाणी लेवो अने ध्यान यंत्रमा आलेखन कर्या प्रमाणे करवानां छे / 4. साधन-मुद्राओ श्लोक नं. 24 ना विवेचनमा आप्या प्रमाणे अने पुष्पो श्लोक नं. 29 मां जणाव्या प्रमाणे। 5. जाप–एक एक जाईना पुष्पना पूजन वडे जाप करवानो छ। जापनी व्याख्या नीचे प्रमाणे उपलब्ध थाय छे: भूयो भूयः परे भावे भावना भाव्यते हि या। जपः सोऽत्र स्वयं नादो मन्त्रात्मा जप्य ईदृशः॥ पुरश्चरणनी संख्या 8000 / 6. तप-आठ आयंबिलना तपपूर्वक आठ दिवसनी प्रक्रिया साधवी। 7. अर्चा-जिनपूजा (स्नात्र सहित) / जाईनां फल नं. 8000 / 8. अंतर्याग-होम-नाभिमण्डलनी अग्निमां चार कषायोनो 800 वखत होम करवो ते अंतर्याग छ / + ॐ सरखावोः-आचाम्लादि तपः कृत्वा, पूजयित्वा जिनावलीम् / अष्टसाहसिको जापः, कार्यस्तत् सिद्धिहेतवे // 93 // + श्री सागरचन्द्र तेमना 'मन्त्राधिराजकल्प'मां पूजा माटे षट्कर्म आ प्रमाणे आपे छे:१. आसन, 2. सकलीकरण, 3. मुद्रा, 4. पूजा, 5. जप, 6. होमविधि / आदौ जिनेन्द्रवपुरगुतमन्त्रयन्त्रा-हानासनानि संकलीकरणं तु मुद्राम् / पूजां जपं तदनु होमविधि षडेव कर्माणि संस्तुतिमहं सकलं भणामि // 2 // . -श्री जैनस्तोत्रसन्दोह पृष्ठ, 232 / 30
SR No.004318
Book TitleNamaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1962
Total Pages398
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
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