________________ विभाग] ऋषिमण्डलस्तवयन्त्रालेखनम् त्रैलोक्यवर्तिजैनानां, बिम्बैदृष्टैः स्तुतैर्नतैः / यत् फलं तत् फलं "बीजस्मृतावेतन्महद् रहः // 28 // - अनुवाद :-त्रणे लोकमां रहेला अरिहंत परमात्माना बिम्बोनां दर्शन करवायी, तेमनी स्तुति करवाथी अने तेमने नमस्कार करवाथी जे फळ प्राप्त थाय ते फळ आ (हीकार) बीजना स्मरणथी प्राप्त थाय छे / आ मोटुं रहस्य छे // 28 // 75. बीजस्मृतावेतन्महद् रहः-बीजस्मृतिनुं रहस्य / बीजना (हीकारना) स्मरणमात्रथी त्रिभुवनवर्ती सर्व जिन बिम्बोनां दर्शन, स्तवन अने वंदन जेटलो लाभ थाय छे / अहीं स्मरणनो अचिंत्य प्रभाव दर्शाववामां आंन्यो छे। चक्षुइंद्रिय वडे दर्शन, वाणी वडे स्तवन अने काया वडे नमस्कार ए त्रणे करतां पण बीजना भावपूर्वक स्मरण- फळ अधिक छे / आ निरूपण पण आंशिक छे मानसिक स्मरणर्नु सर्वोत्कृष्ट फळ तो एना करता अनेकगणुं अधिक छ। स्मृतिना आ महान फळने जाणवू अने अनुभवतुं, 10 ए एक आध्यात्मिक मार्गनुं महान रहस्य छ। ॐ भूर्भुवः स्वस्त्रयीपीठवर्तिनः शाश्वताः जिनाः। .. तैः स्तुतैर्वन्दितैदृष्टैर्यत् फलं तत् फलं स्मृतौ // 9 //