________________ 68 ] पातुपारायणे द्वितीयं परिशिष्टम् '68 पशी 69 पशी बाधनग्रथनयोश्च' / “स्मृदृ०" 4 / 1665 सूत्रे दर्शितः) / '70 ऋशत् गतिस्तुत्योः'। ऋशति / ( "ऋशिजनि०" उ०३६१ सूत्रे दर्शितः)। '71 मिष भये' / भेषति / ( "मिषेः०” उ० 131 सूत्रे दर्शितः) // ___ 72 युषी सेवने' / योषति / (युष्यसि." उ० 899 सूत्रे दर्शितः) // '73 लुस हिंसायाम्' / लोसति / ("ऋषिवृषि०" उ० 331 ने दर्शितः) / '74 पसी गतिवन्धननिवासेषु' / पसते / ("मृशीपसि०” उ० 360 सूत्रे दर्शितः) // 75 भसक भर्सनदीप्त्योः ' / बभस्ति / (“हुयामा०" उ० 451 सूत्रे दर्शितः) / '76 लुहं हिंसामोहयोः' / लोहति // '77 रिहं हिंसाकत्थनादौ // '78 चुक्ष शौचे' / चुक्षति // '79 चिक्षि विद्योपादाने ' / चिक्षते //