________________ 364 पञ्चग्रन्थी व्याकरणम् वपिस्वपिलुपिलपितृप्दृपि..॥३।४।११।१।४॥ सङ्घन बोधः क्षुश्रुवोश्च वेः प्रात्...।।४।१।३।५।३।। वरुणभवमृडेन्द्राचार्यशर्वाच्च..॥१।३।५।७।१६॥ सत्ता लिङ्गानि मानानि एकत्वा...।।१।३।४।१११॥ वर्चस्को च हरिश्चन्द्रप्रस्कण्वौ...||३।४।१५।६।४॥ सप्ताधिका विंशतिरत्र पुंसि...॥१।२।१।१।१।। वर्णार्चिषर्मासमरुद्ध्वनाा..||१।२।१।१।२९॥ सर्वोभयोभोडतरान्यत्वत्वत्.....॥१।२।१३।७।१॥ वाचंयमस्यानियमे दृशोस्तयो...||४।१।९।५।३।। संख्येयसंख्यैकपराशताद् यद्....॥१।२।१।१।१२।। वाऽऽतङ्कतनुं नह....।।१।१।१७।१।१।। सानाय्य धाय्यौ घृतसामिधेन्यो...।।४।१।१५।५।४।। वा पूङ्लिशः क्तो जुदितोरव्रश्चो..||३।४।११।१।८॥ साप्योच्चरो र्टा सम उत्क्रमे दाण... विक्रियगये पणवढ आवारणे...॥४।१।१७।५।२।। // 4 / 2 / 16 / 10 / 2 // विविन्नमोक्तयोरिह वारमोऽनो...॥४।२।१६।१०७॥ साधू सह समं साकं सनो...||१।१।१७।१।७।। वृष्णगिरी वलिदुन्दुभिनाक्षो..॥१।२।१।१॥३०॥ सिधः श्यना भो यरलान्नगाऽला...||३।४।११।१।२।। व्यभ्याहनोऽमोष् विवचोऽत्यपाच्चर्...... सिध्मेध्मकुर्पोडुपयुग्मगुल्म...॥१।२।१।१।८॥ .. // 4 / 1 / 12 / 9 / 3 // सीप्स्योर्हलवस्तङि वा स्वष.....||३।४।११।१।५।। शकन्धुः कुलटा मूनि....॥१।१।८।८।१॥ सुकृत्वसाच्साहिचेनद्ध....||१।१।१७।१।१०।। शकलचमसौ मुस्तं बुस्तं....||१।२।१।१।१८॥ सुप्यातो ह्यावामः संख्यासुगुपा....।।४।१।९।६।२।। शत्यादियोन्यादिमरीचिपाटलि...||१।२।१।१।३५।। / सूर्याचन्द्रमसौ द्वन्द्व...।।१।२।१७।१९।२।। शबलगवयौ भ्रूणदोणावरी....।।१।३।५।७।७।। सेधसाम्नी सुदुनिभ्यः...॥१।२।१०।८।१।। शर्धजहो वातमजो भगंदर.....॥४।१।९।५।४।। स्तम्बेरमः किंबहुयत्तदः कु.....॥४।१।९।६।४।। शल्लकमल्लकवृश्चिकशाटा....||१।२।१।१।३६।। स्तोकाल्पकत्यादिपयाच्च...||१३।४।६।४|| शल्वाच्यवन्नामगुणश्च....।।१।२।१।१।३८।। स्दाम्नो वयः स्हायनतो द्विगोश्चा.... शातनपातनतेजनसूचा:....||१।३।५।७।९।। // 1 / 3 / 5 / 7 / 12 / / शालङ्कि शान्तमुखि वा वाकायनि... स्यादाप्यवत् तस्थ उदुह्पची च... // 1 / 2 / 23 / 1 / 2 / / // 4 / 2 / 16 / 10 / 9 / / शिग्रुगोपवनश्यामाक...॥१।२।२२।८।१॥ सम्भाद् व्यपाल्लष् च परेः सृदेवि... शिते डिरोर्डादरतः संतो वृत्...॥४।१।९।६।५।। // 4 / 2 / 12 / 9 / 2 / / शीलितो रक्षितः क्षान्त आकृष्टो....||४।१।१७।१।२॥ स्वसा ननान्दा दुहिता च माता....।।१।३।५।७।२१।। शुनस्कर्णस्तमस्काण्ड:.....॥१।१।१७।८।२।। स्वाङ्गादमुख्यादुदरौष्ठजङ्घा....॥१।३।५।७।२।। शृवायुवर्णेऽपगते रुजस्पृश्...||४।१।१७।१।२।। स्वाङ्गे सुहन्यायदलेषु...।।१।२।१।१।५।। शेखरखण्डलदाडिममध्या:....||१।२।१।१।२२।। स्स्वाङ्गान्तात् कबराच्छरान्मणि...॥१।३।५।७।१३|| शैलद्यूतौ शौचं कुष्ठं पूल...॥१।२।१।१।२५॥ हलोदराणां फलपुष्पलोह...॥१।२।१।१।३।। शोणविशालविशङ्कटचण्ड..।।१।३।५।७।१।। हाहा देहेऽद्धा धिक् की....॥१।१।१७।१।३।। षुक् चा भियोऽभ्यास उ मिथ्यया... हैतान्तराधिक् समयापरे सतः...॥१।३।१।२।१।। // 4 / 2 / 16 / 10 / 10||