________________ कातन्त्ररूपमाला सुधीः // 192 // सुधीशब्द इयं प्राप्नोति विभक्तिस्वरे परे / सुधियौ। सुधियः / सम्बोधनेऽपि तद्वत् / सुधियम् / सुधियौ। सुधियः / सुधिया। सुधीभ्याम् / सुधीभिः। सुधिये। सुधीभ्याम् / सुधीभ्यः। सुधियः / सुधीभ्याम् / सुधीभ्य: / सुधियः / सुधियोः / सुधियाम् / सुधियि / सुधियोः / सुधीषु // इति ईकारान्ताः / उकारान्त: पुल्लिङ्गो भानुशब्दः // स च मुनिशब्दवत् / अयं भेद:-उत ओत्वमवादेशश्च / भानुः / भानू / भानव: / हे भानो / हे भानू / हे भानवः / भानुम् / भानू / भानून् / भानुना / भानुभ्याम् / भानुभिः / भानवे / भानुभ्याम् / भानुभ्यः / भानोः / भान्वोः / भानूनाम् / भानौ भान्वोः। भानुषु / एवमृतु मेरु गुरु तरु धातु सेतु बाहु वायु बहुप्रभृतयः / इत्युकारान्ताः / ऊकारान्तः पुल्लिङ्गः कटपू शब्दः। स च यवक्रीशब्दवत् / उवादेशोऽत्र भेदः / कटप्रूः / कटप्रुवौ / कटप्रुवः / सम्बोधनेऽपि तद्वत् / कटघुवम् / कटप्रुवौ / कटघुवः / कटप्रूवा / कटप्रूभ्याम् / कटप्रूभिः / इत्यादि / खलपू शरलू काण्डलू प्रभृतौनां सेनानीशब्दवत् / वत्वं भेदः / प्रतिभूशब्दस्य तु भेदः / सौप्रतिभूः / स्वरादौ सेनानीः सेनान्यौ सेनान्यः / सेनान्ये सेनानीभ्याम् . सेनानीभ्यः हे सेनानीः ! हे सेनान्यौ ! हे सेनान्यः ! | सेनान्यः सेनानीभ्याम् सेनानीभ्यः सेनान्यम् सेनान्यो सेनान्यः सेनान्यः सेनान्योः / सेनान्याम् सेनान्या ... सेनानीभ्याम् सेनानीभिः / सेनान्याम् सेनान्योः सेनानीषु .. इसी प्रकार से ग्रामणी और अग्रणी शब्द चलेंगे। सुधी + सि= सुधीः। सुधी + औ उपर्युक्त १९०वें सूत्र से अनेक अक्षर होने से स्वर वाली विभक्ति के आने पर ई को य् प्राप्त था कि उसे बाधित करके आगे का सूत्र लगता है-- ___सुधी शब्द के ई को इय् आदेश होता है // 192 // स्वर वाली विभक्ति के आने पर। सुधियौ बना। संबोधन में तथैव है। सुधीः सुधियो सुधियः / सुधिये सुधीभ्याम् सुधीभ्यः हे सुधीः ! हे सुधियौ ! हे सुधियः ! | सुधियः. सुधीभ्याम् सुधियम् सुधियौ सुधियः सुधियः सुधियोः सुधियाम् सुधिया सुधीभ्याम् सुधीभिः सुधियि सुधियोः सुधीषु इस प्रकार से ईकारान्त शब्द पूर्ण हुए। अब उकारांत भानु शब्द आता है। भानु+सि = भानुः बना। मुनि के समान 'इदुदग्निः' इस १६१वें सूत्र से अग्नि संज्ञा हो गई, यह पूरा रूप मुनि के समान चलेगा अंतर इतना ही है कि उसमें 'इ' को 'ए' हुआ था और उसमें 'उ' को 'ओ होगा। और 'ओ' को अव् आदेश होगा। सूत्र सभी वे ही लगेंगे। यथा भानुः भानू भानवः / भानवे भानुभ्याम् भानुभ्यः हे भानो ! हे भानू ! हे भानवः ! भानोः भानुभ्याम् भानुभ्यः भानुम् भानू भानून् / भानो: भान्वोः भानूनाम् भानुना भानुभ्याम् भानुभिः / भानौ भान्वोः भानुषु इसी प्रकार से ऋतु, मेरु, गुरु, धातु, सेतु, बाहु, वायु, बहु आदि रूप चलेंगे। सुधीभ्यः