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________________ परिशिष्ट . भ्वादिगण की धातुयें भू सत्तायां परस्मैपदी एधङ् वृद्धौ आत्मनेपदी डुपचषुञ् पाके उभयपदी षिधु गत्यां परस्मैपदी षिधू शास्त्रे मांगल्ये च परस्मैपदी णीङ् प्रापणे उभयपदी स्रेस् भंस् अवस्रेसने आत्मनेपदी ध्वंस् गतौ च आत्मनेपदी ग्रथि वकि कौटिल्ये आत्मनेपदी टुनदि समृद्धौ परस्मैपदी वदि अभिवादनस्तुत्योः आत्मनेपदी दंश दशने परस्मैपदी षञ्ज स्वंगे परस्मैपदी ध्वंज परिष्वंगे आत्मनेपदी रञ्ज रागे परस्मैपदी ष्ठिवु क्षिवु निरसने परस्मैपदी क्लमु ग्लानौ परस्मैपदी चमु छमु जमु जिमु अदने परस्मैपदी क्रमु पादविक्षेपे परस्मैपदी षु स्रु द्रु घु ऋच्छ गम्ल स पृ गतौ परस्मैपदी परस्मैपदी यमु उपरमे परस्मैपदी पा पाने परस्मैपदी घ्रा गंधोपादाने परस्मैपदी घ्मा शब्दाग्निसंयोगयोः परस्मैपदी स्था गतिनिवृत्तौ परस्मैपदी म्ना अभ्यासे परस्मैपदी दाण् दाने परस्मैपदी दृशिर् प्रेक्षणे परस्मैपदी ऋ प्रापणे परस्मैपदी भवति एधते पचति, पचते सेधति सिद्ध्यति नयति नयते स्रंसते, भंसते ध्वंसते ग्रन्थते, वंकते नंदति वंदते दशति सजति परिष्वजते रंजति निष्ठीवति क्लामति आचामति क्रामति गच्छति इच्छति यच्छति पिबति जिघ्रति धमति तिष्ठति मनति प्रयच्छति पश्यति ऋच्छति इषु इच्छायां
SR No.004310
Book TitleKatantra Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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