________________ कृदन्त: 351 तच्छीलतद्धर्मतत्साधुकारिष्वा क्वेः // 730 // आक्वे: कोऽर्थ: क्विपमभिव्याप्य इत्यर्थः / तच्छीलादिषु कर्तृषु अत: परे केचित्प्रत्यया वेदितव्याः / तृन् / / 731 // तच्छीलादिषु धातोस्तृन् भवति वदिता जनापवादान् मूर्खः / मुण्डयितार: श्राविष्ठायिना: ।अधीत ज्ञानं / भ्राज्यलुकृञ्भूसहिरुचिवृतिवृधिचरिप्रजनापत्रपेनामिष्णुच्॥७३२॥ - एभ्य: इष्णुच् भवति तच्छीलादिषु / भ्राजिष्णुः / अलङ्करिष्णुः। भविष्णुः / सहिष्णुः / रोचिष्णुः वर्तिष्णुः / वर्धिष्णुः / चरिष्णुः / प्रजनिष्णुः / त्रपूष् लज्जायां / अपत्रपिष्णुः / इनन्तेभ्य: / धारयिष्णुः / मदिपतिपचामुदि / / 733 // उद्युपपदेभ्य एभ्य इष्णुच्भवति तच्छीलादिषु / उन्मदिष्णुः / उत्पतिष्णुः / उत्पचिष्णुः / जिभुवोः ष्णुक् // 734 // आभ्यां ष्णुग्भवति तच्छीलादिषु / जिष्णुः / भूष्णुः। क्रुधिमण्डिचलिशब्दार्थेभ्यो युः // 735 // एभ्यो युर्भवति तच्छीलादिषु / कुप क्रुध रुष रोषे / कोपनः / क्रोधनः / रोषणः / एते क्रुध्याः / मण्ड्य र्थात् / मडि भूषायां / मण्डन: / भूष अलङ्कारे / भूषण: / चल्पर्थात् / चल कल्पने। चलन: / टुवे कपि चलने / वेपनः / कम्पन: / शब्दार्थात् / खण: भाषणः / क्विप् पर्यंत तच्छील, तद्धर्म, तत्साधुकारि अर्थ में प्रत्यय होते हैं // 730 // सूत्र में 'आ क्वे:' का क्या अर्थ है ? क्विप् को व्याप्त करके है अर्थात् इससे आगे तत्स्वभाव आदि कर्ता अर्थ में कुछ प्रत्यय जानना चाहिये। तत्स्वभाव आदि अर्थ में धातु से तृन् प्रत्यय होता है // 731 // वदिता, मुण्डयिता, अधीत ज्ञानं इत्यादि / भ्राजि, अलंकृ, भू सहि रुचि वृति वृधि चरि प्रजन, अपत्रप और इन्नंत से तत्स्वभाव आदि अर्थ में इष्णुच् प्रत्यय होता है // 732 // ___ होकर भ्राज् इष्णु = भ्राजिष्णुः; अलंकरिष्णुः भविष्णुः सहिष्णुः रोचिष्णुः वर्तिष्णुः वर्धिष्णु: चरिष्णुः प्रजनिष्णुः अपत्रपिष्णुः / इनंत से-धारयिष्णु: कारयिष्णुः आदि। उत् उपपद होने पर मद, पत, पचधातु से इष्णुच् प्रत्यय होता है // 733 // तत्स्वभाव आदि अर्थ में / उन्मदिष्णुः उत्पतिष्णु: उत्पचिष्णुः / तत्स्वभाव आदि अर्थ में जि और भू से 'ष्णुक् प्रत्यय होता है // 734 // जिष्णु: भूष्णुः। तत्स्वभाव आदि अर्थ में क्रुध, मण्ड चल, शब्द इन अर्थ वाले धातु से 'यु' प्रत्यय होता है // 735 // _ 'युवुलामनाकान्ता:' 559 सूत्र से यु को 'अन' होकर रूप बनेंगे। क्रुध् कुप् रूष् रोष अर्थ में हैं कोपन: क्रोधन: रोषण: / मण्डन अर्थ में-मडि-भूषायां-मण्डनः, भूष-अलंकारे भूषण: चल अर्थ में-चल कंपने-चलन:, वेपन:, कम्पन: / शब्द अर्थ से-रवण: भाषणः। .