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________________ कृदन्तः 347 वशेः कश्च // 708 // व्रश्चेः परस्य निष्ठातकारस्य नकारो भवति कश्चान्तादेशः / व्रश्चू छेदने। सम्प्रसारणं / वृक्ण: वृक्णवान्। क्षैशुषिपचां मकवाः // 709 // शषिपचां सकता एभ्यो निष्ठातकारस्य यथासंख्यं मकवा भवन्ति / क्षै जै पै क्षये / क्षाम: क्षामवान् / शुष्कः / पक्कः / - वनतितनोत्यादिप्रतिषिद्धेटां धुटि पञ्चमोऽच्चान्तः / / 710 / / * वनतेस्तनोत्यादेः प्रतिषिद्धेटश्च पञ्चमस्य लोपो भवति धुट्यगुणे पञ्चमे च / आकारस्य अद् भवति / वन षण संभक्तौ / वत: / तत: / हतः / यत: / रत: / नतः / गतः / गतवान् / जपिवमिभ्यामिड् वा // 711 // जपिवमिभ्यामिड् वा भवति निष्ठायां / जप विमानसे च। जप्त: जप्तवान् / जपित: जपितवान् / वान्त: / वान्तवान् वमित: वमितवान् / व्याद्भ्यां श्वसः // 712 // व्याद्भ्यां परस्य श्वस इड् वा भवति निष्ठायां / विश्वस्त: / विश्वसित: / विश्वस्तवान् विश्वसितवान् / आश्वस्त: आश्वस्तवान् / आश्वसित: आश्वसितवान् / ____ भावादिकर्मणोर्वा // 713 // आदनुबन्धाद्धातोर्भाव आदिक्रियायाञ्च इड् वा भवति निष्ठायां / व्रश्च् धातु से परे निष्ठा के तकार को नकार होता है और अन्त को ककार आदेश होता है // 708 // व्रश्च–छेदना संप्रसारण हुआ है ‘संयोगादेर्लोप:' से शकार का लोप होकर वृक्ण: वृक्णवान् / क्षै शुष और पच् से परे निष्ठा के तकार को क्रम से म, क और व आदेश होता है // 709 // 6. क्षै जै पै–क्षय होना। क्षाम: क्षामवान् / शुष्क: पक्व: 'चवर्गस्य किरसवणे' सूत्र से चवर्ग को कवर्ग हुआ है। वन तनु आदि से और इट् निषिद्ध धातु से धुट् अगुण और पंचम अक्षर प्रत्यय के आने पर पंचम अक्षर का लोप हो जाता है और आकार को अत् होता है // 710 // वन षण्–संभक्ति / वन् के नकार का लोप होकर वत:, तन् से ततः, हन् से हत:, यम् रम् नम् गम् से यत: रत: नत: गत: गतवान् बना। ___ जप और वम् से परे निष्ठा के आने पर विकल्प से इट् होता है // 711 // जप—मन में जपना, जप्त: जपित:, वम्-वान्त: वमित:। वि आ से परे श्वस् धातु से निष्ठा के आने पर विकल्प से इट् होता है // 712 // विश्वस्त: विश्वसित: / आश्वस्त: आश्वसित: इत्यादि। .. आकारानुबंध धातु से निष्ठा के आने पर भाव और आदि क्रिया में विकल्प से इट् होता है // 713 //
SR No.004310
Book TitleKatantra Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1992
Total Pages444
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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