________________ एकाक्षरीकोशः एकाक्षरीकोशः अकारो वासुदेव: स्यादाकारस्तु पितामहः / पूजायां चापि मांगल्ये आकार: परिकीर्तितः // 1 // इकार उच्यते कामो लक्ष्मीरीकार उच्यते। उकार: शंकर: प्रोक्त ऊकारश्चापि लक्षणम् // 2 // रक्षणे चार्थ ऊकार ऊकारो ब्रह्मणि स्मृतः / ऋकारो देवमाता स्यादृकारो दनुजप्रसूः // 3 // लकारो देवजातीनां माता सद्भिः प्रकीर्तितः / लकारो-स्मर्यते दैत्यजननी शब्द कोविदः // 4 // एकार उच्यते विष्णुरैकारः स्यान्महेश्वर / ओकारस्तु भवेद् ब्रह्मा औकारोऽनन्त उच्यते // 5 // अं स्यच्च परमं ब्रह्म अ: स्याच्चैव महेश्वरः / क: प्रजापति रुद्दिष्टः कोऽर्कवाटवनलेषु च // 6 // कश्चात्मनि मयूरो च क: प्रकाश उदाहृतः / कं शिरो जलमाख्यातं कं सुखे च प्रकीर्तितः // 7 // पृथिव्यां कु: समाख्यात: कु: पापेऽपि प्रकीर्तितः / खमिंद्रिये खमाकारो ख: स्वर्गेऽपि प्रकीर्तितः // 8 // सामान्ये च तथा शून्ये खशब्द: प्रकीर्तितः। गो गवेश: समुद्दिष्टो गंधर्वोग: प्रकीर्तितः // 9 // गं गीतं गा च गाथा स्याद्गौश्च धेनु: सरस्वती / घा घष्टाय समाख्याता घो घनश्च प्रकीर्तितः // 10 // घो घष्टाहननेऽधर्मे घूघोर्णाघुर्ध्वनावपि / डकारो भैरव: ख्यातो डकारो विषयस्पृहा // 11 // 'चश्चंद्रमा: समाख्यातो भास्करो तस्करे मतः / निर्मलं छं समाख्यातं तरले छ: प्रकीर्तितः / / 12 // छेदके छ: समाख्यातो विद्वद्भिः शब्दकोविदैः / जकारो गायने प्रोक्तो जयने ज: प्रकीर्तितः / / 13 / / जेता जश्च प्रकथित: सूरिभि: शब्दशासने / खो झकार: कथितो नष्टे झश्चोच्यते बुधैः // 14 // इकारश्च तथा वायौ नेपथ्ये समुदाहृतः / जकारो गायने प्रोक्तो जकारो झर्झरध्वजौ // 15 // ये धीस्त्र्यां च करके रो ध्वजौ च प्रकीर्तित: / उकारो जनतायां स्याट्ठो ध्वनौ च शठेऽपि / / 16 // ठो महेश: समाख्यातष्ठ: शून्य: प्रकीर्तितः / बृहद्भानौ च ठः प्रोक्तस्तथा चंद्रस्य मंडले // 17 // डकार: शंकरे त्रासे ध्वनौ भीमे निरुच्यते / ढकार: कीर्तितो ढक्का निर्गुणे निर्धने मतः // 18 // णकार: सूकरे ज्ञाने निश्चयेते निर्णयेऽपि च / तकार: कीर्तितश्चोरे क्रीड पुच्छे प्रकीर्तितः / / 19 // 'शिलोच्वंये थकार: स्थाल्यकारो नयरक्षणे। दकारोऽभ्रे कलत्रे च च्छेदे दाने च दातरि // 20 // धं धने सघने ध: स्याद्विधातीर मनावय / धीषणा धी: समख्याता धूश्चैवं भारवित्तयोः / / 21 // नेता नश्च समाख्यात स्तरणौ न प्रकीर्तितः / नकार: सौगते बुद्धौ स्तुतौ वृक्षे प्रकीर्तितः // 22 // - न शब्द: स्वागते बन्धौ वृक्षे सूर्ये च कीर्तित: / प: कुवेर: समाख्यात: पश्चिमेप: प्रकीर्तितः / / 23 / / पवने प: समाख्यात: प: स्यात्याने च पातरि / कफे वाते फकार: स्यात्तथाऽऽह्वाने प्रकीर्तितः / / 24 // फूत्कारोऽपि च फ: प्रोक्तस्तथा निष्फलभाषणे / वकारो वरुण: प्रोक्तो बलजेब फलेऽपि च / / 25 // वक्ष: स्थले च बः प्रोक्तो गदायां समुदाहृतः / नक्षत्रे भं बुधा: प्राहुर्भवने भ: प्रकीर्तितः / / 26 // दीप्तिर्भा स्याच्च भूर्भूमिभीर्भयं कथितं बुधैः / म: शिवश्चंद्रमा वेधा: महालक्ष्मीश्चकीर्तिता // 27 // मा च मातरि माने च बंधने म: प्रकीर्तितः / यशो य: कथित: प्राज्ञैर्या वायुरिति शब्दितः // 28 // याने मातरि यस्त्यागे कथित: शब्दवादिभिः / रश्चारोमेऽनिले ब्रह्मौ भूमावपिधनेऽपि च // 29 //