________________ 226 कातन्त्ररूपमाला विदः पर आम् भवति तत: कृञ् प्रयुज्यते पञ्चम्यां / आमि विधेरेवेति गुणो न भवति / विदांकरोतु . विदांकुरुतात् विदांकुरुतां विदांकुर्वन्तु / विदांकुरु / अवेत् अवित्तां अविदन्। _ विदादेर्वा // 136 // विद आदन्ताद् द्विषश्चान् उस् वा भवति ह्यस्तन्यां / अविदुः / विद्यते / एवं ह्यस्तन्यां / आदन्तात् / प्सा भक्षणे। अप्सात् अप्सातां / अप्सन् / / आकारस्योसि // 137 // आकारस्य लोपो भवति उसि परे / अप्सुः / रा ला आदाने / अलात् अलातां अलान् अलुः / अरात् अरातां अरान् अरु: / द्विष् अप्रीतौ / अद्वेट् अद्विष्टां अद्विषन् अद्विषुः / भावकर्मणो:-रायते / लायते / प्सायते / द्विष्यते। समो गमृच्छप्रच्छिसश्रवेत्त्यर्त्तिदृशाम् // 138 // समः परेषामात्मनेपदं भवति / संविते / संविदाते संविदते। वेत्तेर्वा // 139 // वेत्ते: परस्यांतेरियं भवति। संविद्रते। संविदीत संविदीयातां संविदीरन्। संवित्तां संविदातां संविदतां संविद्रतां / समवित्त समविदातां समविद्रत समविदत // इण् गतौ / एति इत: / इणश्च // 140 // आम् के आने पर 'आमि विधेरेव' इससे गुण नहीं होता है / विदांकरोतु विदांकुरुतात्, विदांकुरुतां विदांकुर्वंतु / आम् कृ, नहीं होने पर वेत्तु वित्तां विदन्तु / अवेत् अवित्तां अविदन् / विद और आकारांत धातु और द्विष के परे विकल्प से अन् को उस् हो जाता है // 136 // अविदुः बना। भाव कर्म में विद्यते / आकारांत धातु से—प्सा धातु खाने अर्थ में है। प्साति, प्सात: प्सान्ति / प्सायात् / प्सातु / अप्सात् अप्साता अप्सा अन्, अप्सा, उस् / उस् के आने पर आकार का लोप हो जाता है // 137 // अप्सान्, अप्सुः / रा, ला धातु लेने अर्थ में है। लाति / लायात् / लातु, अलात् अलातां, अलान् अलुः / राति / रायात् / रातु / अरात् अरातां अरान, अरुः / द्विष् अप्रीति अर्थ में है। द्वेष्टि द्विष्टः द्विषन्ति / द्विष्यात् द्वेष्टु / अद्वेट् अद्विष्टां अद्विषन्, अद्विषु / भावकर्म में रायते / लायते। प्सायते। द्विष्यते / सम उपसर्ग से परे गम्, ऋच्छ, प्रच्छ, सु श्रु विद्, क्र और दृश् धातु आत्मनेपदी हो जाते हैं // 138 // संवित्ते संविदाते संविदते। विद् के परे 'अन्ते' के आने पर विकल्प से 'इ' को 'इर' हो जाता है // 139 // संविद्रते बना / संविदीत / संवित्तां, संविदातां, संविदतां संविदतां / समवित्त / इण धात गति अर्थ में है—एति इत: / इ अन्ति है। स्वरादि अगुण विभक्ति के आने पर इण् को य हो जाता है // 140 // .