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________________ पृष्ठम् पङ्क्तिः 133 अशुद्धिः ताच्छेदक सम्बन्धेन पर्वतो शाब्दबोचे शुद्धिः तावच्छेदक सम्बन्धेन पर्वते वृत्ये शाब्दबोधे वृत्त्ये एवोचितत्वा छेदककोटी विधेय नौचित्यादिति / निष्ठा तद्वैशिष्टयस्य 135 वच्छिन्न वह्नयाद्या पत्त्य पत्तेर्वारण एवोचित्वा छेदककोटी विधेय नौचित्यादिति निष्ठ तद्वैशिष्ठस्य वहच्छिन्न वहन्यद्या पत्य पत्तेवारण वस्तुतत्तु चितम् बाधा व्यवहित कल्पनात् न प्रामाण्य भ्युपरगमे जाति विशेषा व्यवसायापत्ति वाच्यम् विषयता सिद्धेः . निवेशनी नीयमिति शिष्य मुति वस्तुतस्तु चितम्, बाधाव्यवहित कल्पनात् / न प्रामाण्य भ्युपगमे जातिविशेषा व्यवसाय आपत्ति वाच्यम्, विषयतासिद्धः निवेशनीनीयमिति शिष्यमुदि
SR No.004308
Book TitleNavgranthi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashodevsuri
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages320
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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