________________ श्रीजीरावल्लीपार्श्वनाथाय नमः / महोपाध्यायश्रीमद्-यशोविजयनीविरचित * तेर काठिया स्वरूप [वार्तिक] ॐ नमो विश्वचिंतामणिअर्हते / नमः श्रीवर्द्धमानाय, श्रीमते च सुधर्मणे / -- सर्वानुयोगवृद्धेभ्यो, वाण्यै सर्वविदस्तथा // 1 // [ भगवती, अभय टीका० म० श्लो०] ऐन्द्रश्रेणिनतं नत्वा, जिनं तत्त्वार्थदेशिनम् / . कुर्वे परोपकाराय, लेशोद्देशेन वार्तिकम् // 2 // अथ हवें श्री वर्धमान स्वामी चोवीसमा तीर्थकर चरम कहेतां छेहला आसन्नौपगारी तेहोने नमस्कार करने / वली पट अनुक्रमें श्री गौतम-सुधर्म-जंबू-प्रभव-सिझभव-ए आदि पाटानुक्रमें नमी / ते केहवा छै, च्यार अनुयोगना जाणवा वाला छै / ते च्यार अनुयोग केहा(हवा) ते कहई-धर्मकथानुयोग, गणितानुयोग, चरणकरणानुयोग, द्रव्यानुयोग / एहना अनेक भेद अनंता नाणपज्जवा, ते केवलज्ञानीये एक समबमें उत्पाद-व्यय-ध्रुवपणे जाण्यां / अस्तिनास्ति एवं सप्तभंगीय करीने त्रिपदीमैं कृपा करी छै / केवली थया पछी ते प्रभुजी वाणी खर्या, तिणे जगबना जीवर्नि नवपल्लव कर्या / प्रभुजीनो वाणोरूपी वरसातनो वरस्यौ / अमोघ धाराई करीने ते अमेघ धारानौ वरसात श्रीगणधर भगवान रूपीया सरोवर द्रह भराणां / ते मांहिंथी सरोवर द्रहमाहिथी निझरणां शयीं ते षाड [खाड] खबूचीयां भराणां / ते खाडखबुचीयां कोण, सूत्र - सिद्धान्त-"अत्थं' भासइ मरहा सुत्तं गुत्थं ति गणहरा" एहवं प्रवचन- वचन छई / अर्थनी कृपा तो श्री अरिहंतजी करई / समवसरणनै वि त्रिघट्टै बेसं.ने ति वांणीरूपी यां फूलडां जिम मालण गुंथीनि भेलां करें, ति हार फुलनौ पेरीने सरीर सोभावै, तिम गणधर भगवाने सूत्र गुंथ्यां, साधसाधवीनें कंठे पेराव्यां, एहवी भगवाननो वाणीनो गुण / ते वांणीरूपीयो वरसात वरस्यो, जिहां वरसात होइं, तिहां वीजली होई, ते वीजली केही- भामंडलना झबूकतें वीजली / वादल * આ કૃતિ ઉપાધ્યાયજીની છે કે કેમ ? તે અંગને વિચાર કરતાવનામાં રજૂ કરશું. 1. राशि.